अपमानित , दुखी और बेआबरू होकर अंततः बावरिया की वापसी । प्रदेश कांग्रेस के चक्रव्यूह में अब मुकुल वासनिक ।

         ज्योतिरादित्य समर्थक, कार्यकर्ता प्रेमी ,  बाबरिया की विदाई ।    दिग्विजय से 36 का आंकड़ा । 


             


  भोपाल । मध्यप्रदेश में  मुकुल वासनिक आ गए बाबरिया की  विदाई अर्थात अपमान  एवं बेआबरू होकर वापस जाना पड़ा  । मुकुल वासनिक आ चुके हैं  । परंतु हालात  वही है । मुकुल वासनिक से सीनियर एवं कद्दावर नेता  जब एक ही  मंच पर  प्रदेश का  राष्ट्रीय स्तर पर  नेतृत्व कर रहे हो तो फिर चाहे मुकुल वासनिक हो या दीपक बाबरिया । दिग्विजय सिंह एवं कमलनाथ के आगे कौन टिकता है। कांग्रेस की स्थिति अभी बड़ी विचित्र दिखाई देती हैं , खंड- खंड विखंडित कांग्रेस के अंदर आज भी वही हालात है, जो 2 महीने पहले एक बार कांग्रेसी टूटते समय एवं सरकार गिरते समय दिखाई दे रहे थे । कोई किसी ग्रुप से जुड़ा है कोई किसी गुट से , कहीं किसी पर कोई आरोप लगा रहा है ; तो कहीं कोई किसी की टांग खींच रहा है । कोई अपनी शक्ति जगजाहिर कर रहा है , कोई अपनी पसंद के हिसाब से उपचुनाव के लिए रणनीति तैयार कर रहा है । ऐसी ही स्थितियों में प्रदेश प्रभारी रहे दीपक बाबरिया की विदाई एवं मुकुल वासनिक का आना ताकत के उस स्वरूप को दिखाई दे रहा है, जहां आने वाले उपचुनाव में दिग्विजय सिंह को जो करना है वही करेंगे । अर्थात दिग्विजय ही सर्वे सर्वा होंगे ।


बड़े बेआबरू होकर निकले । 


15 वर्षों बाद जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश से गई , और मध्य प्रदेश के नेतृत्व में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ-साथ कमलनाथ एवं अन्य जमीनी नेताओं ने दिग्विजय सिंह की रणनीति के साथ साथ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार लाने के लिए भरसक प्रयास किए , उस समय कार्यकर्ताओं का हितेषी एवं राहुल गांधी तक कार्यकर्ताओं की बात पहुंचाने वाला एक ही व्यक्ति मध्यप्रदेश में प्रदेश का प्रभारी बनकर आया था और उसका नाम था दीपक बाबरिया । कार्यकर्ताओं को आगे लेकर चलने वाले इस व्यक्तित्व को सरकार आने के बाद जिस तरह दिग्विजय सिंह ग्रुप द्वारा लगातार साइडलाइन किया गया एवं समय-समय पर साजिशों के तहत बदनाम करने की कोशिश करते हुए उन्हें अपमानित किया गया ., संभवत ऐसी स्थितियां कांग्रेसमें मध्य प्रदेश के अंदर कभी भी दिखाई नहीं दी . और परिणाम सबके सामने है ही ।


दिग्विजय सिंह ग्रुप के विरोधी होते चले गए ।


सरकार के अंदर जो मंत्रियों द्वारा 1 वर्ष तक भ्रष्टाचार का खुला तमाशा किए जा रहा था, तब भी बाबरिया ने राष्ट्रीय स्तर पर सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक इस बात की जानकारी दी थी एवं समय-समय पर  संगठन के माध्यम से भी अपनी बात रखने का प्रयास किया । और इसी दौरान वह दिग्विजय सिंह ग्रुप के विरोधी होते चले गए ।मध्यप्रदेश में प्रदेश प्रभारी के रूप में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के पास केवल एक ही व्यक्ति था जो कार्यकर्ताओं की बात सुनता था और कार्यकर्ताओं के हक में अपनी बात रखता था । परंतु जिस तरह अपमानित करके उसे इस्तीफा देने के नाटक के बीच हटाया गया संभवत आने वाला समय कांग्रेश के लिए बेहद दुखदाई एवं भविष्य के हिसाब से अंधकार में दिखाई देता है ।


सिंधिया के पक्ष में रखी थी बात, समर्थन किया ।


दीपक बावरिया का हमेशा मानना रहा कि दिग्विजय सिंह एवं कमलनाथ के मुकाबले युवा चेहरे के रूप में आकर्षक व्यक्तित्व एवं प्रभावित करने वाला जनता के लिए व्यक्तित्व कोई है तो वह एक ही है जिसे ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं । खुलकर ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन किया और समय-समय पर आलाकमान के समक्ष उनके समर्थन में बात रखी । परंतु जैसे ही वो आलाकमान को ज्योतिराज सिंधिया के समर्थन में मजबूत करते थे, वैसे ही पीछे से दिग्विजय सिंह ग्रुप द्वारा ज्योतिरादित्य सिंधिया की काट कर दी जाती थी ।दीपक बावरिया से जुड़े हुए लोग बताते हैं कि जब ज्योति सिंधिया का लगातार अपमान किए जा रहा था, तब दिग्विजय सिंह के इस व्यवहार को लेकर आलाकमान को लगातार सूचना बावरिया जी द्वारा पहुंचाई जा रही थी , परंतु दीपक बावरिया की बात को बेहद हल्के में लिया गया और आलाकमान यह सपने में भी नहीं सोच पाया था कि दीपक बावरिया जो कह रहे हैं वह सही हो सकता है, अर्थात कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश में गिर सकती है । अर्थात मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दो टुकड़े हो सकते हैं । अर्थात ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी में 2 दर्जन के लगभग विधायकों के साथ भाजपाई बन सकते हैं ? और ऐसा ही हुआ दीपक बाबरिया की बात को गंभीरता से ना लेने का प्रणाम यही हुआ कि कांग्रेश की सरकार प्रदेश में गिर गई ।


सिंधिया के सच्चे मित्र रहे बाबरिया ।


मध्य प्रदेश के पूर्व कांग्रेसी प्रभारी दीपक बाबरिया से ज्योतिरादित्य सिंधिया की मित्रता किसी से छिपी नहीं है , ज्योतिरादित्य सिंधिया उनकी तारीफ में हमेशा कहा करते थे कि वह बेहद सज्जन एवं गंभीर होने के साथ-साथ साफ-सुथरे मन के व्यक्ति हैं । वहीं दूसरी और दीपक बावरिया ज्योतिरादित्य सिंधिया का हमेशा सम्मान करते रहे और उनके पक्ष में आलाकमान को सहमत करने के लिए प्रयास भी करते रहे । दीपक बाबरिया ज्योतिरादित्य सिंधिया के व्यक्तित्व से बेहद प्रभावित थे । जब ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए तब भी उसके बाद कई बार व्यक्तिगत रूप से दीपक बावरिया ने ना केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की बरन हमेशा फोन पर उनके संपर्क में बने रहे । यही बात दिग्विजय सिंह ग्रुप को एवं कमलनाथ से जुड़े हुए लोगों को पसंद नहीं आई और उन्होंने तय कर लिया कि विधानसभा उपचुनाव से पहले दीपक बाबरिया को मध्य प्रदेश से विदाई कराना आवश्यक है । और आज विदाई हो ही गई । 


यूपीए के सरकार में मंत्री रहे मुकुल वासनिक महाराष्ट्र से ।


मार्च में मध्यप्रदेश में राजनीतिक उठापटक के दौरान मुकुल वासनिक काफी एक्टिव रहे थे। जयपुर में विधायकों रखने से लेकर उनके भोपाल आने तक वह साथ रहे थे। यूपीए के सरकार में वह मंत्री भी रहे हैं। मुकुल वासनिक महाराष्ट्र से आते हैं। राजनीतिक जीवन की शुरुआत एनएसयूआई से हुई थी। वासनिक महाराष्ट्र की बुलढाना लोकसभी सीट से 25 साल की उम्र में सांसद बन थे। मुकुल वासनिक ने बुलढाना संसदीय सीट से 1984, 1991 और 1998 में लोकसभा चुनाव जीता था। 2009 में उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट बुलढाना को छोड़ दिया और रामटेक से लोकसभा चुनाव जीता।