बेनाम सा ये दर्द , ठहर क्यों नही जाता  ..

 



रूपेश उपाध्याय।  डिप्टी कलेक्टर श्योपुर


 


                                      बेनाम सा ये दर्द , ठहर क्यों नही जाता  ......?
  
                       मार्च तक सब कुछ सामान्य सा ही चल रहा था । 15 मार्च 2020 तक हमें यह बिल्कुल अंदाज़ नही था कि श्योपुर में भी हम कोरोना से इस तरह पीड़ित हो जाएंगे।
           मार्च माह के दूसरे सप्ताह तक श्योपुर अस्पताल को ही तैयारी के साथ रहने को कहा गया था । देश के बाहर से आने बालो का स्वास्थ्य परीक्षण जैसी साबधानी ही बरती जा रही थी। 
               22 मार्च 2020 को जब प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर पहली बार लॉक डाउन हुआ और हमने ताली बजा कर देश स्वास्थ्य कर्मियों को धन्यवाद कहा । तब हमारा जिला तैयारी के मोड पर आया। 
        अब तक देश के कई नगर  कोरोना की जद में आ चुके थे। 25 मार्च 2020 को जब प्रधान मंत्री जी के आह्वान पर देश मे लॉक डाउन हो गया। लॉक डाउन की सारी पाबन्दियाँ नगर में लगाई गई। इन पाबंदियों का यथा विधि पालन भी कराया गया।
                लॉक डाउन के कारण हमारी तीनो राजस्थान से लगी सीमाओं से भारी संख्या में मज़दूर आना आरम्भ हो गए । ये मज़दूर बीकानेर , दिल्ली , जयपुर, राजकोट अहमदाबाद, कोटा ,अजमेर  जैसे शहरों से पैदल भूँखे चले आ रहे थे ।
                      ये मज़दूर प्रदेश के कटनी , उमरिया , जबलपुर जैसे दूरस्थ जिलों के साथ साथ उप्र के आगरा , इटावा ,बदायूँ , फ़िरोज़ाबाद, उरई , झाँसी , राजस्थान के धौलपुर जैसे जिलों के भी थे।हमारे जिले के 12 हज़ार घरेलू मज़दूर के 7 , 8 हज़ार मज़दूर दूसरे जिलों , दूसरे प्रदेशों के  भी थे। 
               श्योपुर नगर की मुख्य सड़को पर मज़दूर ही मज़दूर दिखते । लॉक डाउन के कारण सभी होटल , चाय की दुकानें बंद होने उनके खाने की भीषण समस्या सामने थी। इन मज़दूरों को प्रदेश के दूरस्थ जिलों तक भेजा जाना भी था। यह भी एक बड़ी समस्या थी।
              इन समस्यायों का सामना करना श्योपुर जैसे दूरस्थ एवं कम संशाधन बाले ज़िले के लिए बड़ी चुनोती था। ज़िला प्रशासन ने इस चुनोती को अवसर के रूप में  लिया। 
              जिला मुख्यालय का अनुविभाग होने से सबसे बड़ा दायित्व अब हमें ही निर्वहन करना था। शासन की व्यबस्थाओं के साथ साथ समाज सेवियों , व्यापारिक संगठनों के सहयोग से भूँखो को भोजन का प्रकल्प आरम्भ हुआ। 
              नगर के निर्धन लोगो के अलावा बस स्टेंड , अस्पताल , कलेक्ट्रेट , सामरसा चौकी , खातौली चौकी , बड़ोदा आदि में भोजन एवं खाद्यान्न सामग्री की व्यबस्था की गई।
            मप्र में प्रवेश करते ही या श्योपुर ,बड़ोदा नगर में प्रवेश करते ही प्रत्येक व्यक्ति की स्क्रीनिंग होती फिर उन्हें भोजन कराया जाता तदुपरांत उन्हें गंतव्य के लिए बस से रबाना किया जाता।
                इस कार्य हेतु हमने 10 बसों का अधिग्रहण किया था। मज़दूरों की राजस्थान से अबाध आबक होती रही।लगभग एक सप्ताह तक हम इस कार्य मे लगे रहे।हम जिस सौहार्द्र से यह कार्य कर रहे थे पर दूसरे जिलों से हमें ऐसा रेस्पॉन्स नही मिल रहा था।
                    जब केंद्र सरकार ने जो जहाँ है उसे वहीं रखने के निर्देश दिए , तब यह आबक कम हुई पर बंद नही हुई । राजस्थान के कोटा , बाराँ , सवाई माधोपुर से यह घुसपेठ चलती रही।
           हम कठिन दौर से गुज़र रहे थे , पर लग रहा था कि शायद हमने यह दौर पूरा कर लिया है । दिनांक 5 अप्रेल 2020 को प्रधान मंत्री जी के आह्वान पर पूरे देश के साथ साथ  हमने भी कोरोना योद्धाओं प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने हेतु  दिए प्रज्वलित किये।
                  हम निश्चिंत से हो गए ।  हमे लग रहा था कि अब श्योपुर कोरोना त्रासदी से बच जाएगा। पर ऐसा हो नही पाया । 7 अप्रेल को श्योपुर की बाह्य सीमा से लगे गाँव हसनपुर के राशिद को ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में कोरोना पोजिटिव निकला। 
                  सुन कर सभी सन्न रह गए। जिले में एक त्राशदी की दस्तक से सभी में घबराहट फैल गई। ज़िला प्रशासन का बंजारा डेम से लगे हसनपुर हवेली की ओर था। इसे कंटेन्मेंट झोन घोषित कर तमाम पाबन्दियाँ लगा दी गई।
           लोगो को घर से निकलने से रोकने के लिए नगर में कर्फ्यू की घोषणा कर दी गई । प्रतिबंधात्मक प्रावधान और कठोर कर दिए गए। कोरोना पीड़ित रशीद की संपर्क लिस्ट बनाई गई ।
               कोरोना पीड़ित राशिद एक झोलाछाप डॉक्टर है। पिछले 15 , 20 दिन में वह शुभकरा , बाग़लदा, हसनपुर हवेली गाँव एवं श्योपुर नगर निवासियों सहित 160 से अधिक लोगो के संपर्क में आया।
           इस झोला छाप डॉक्टर ने इलाज के नाम पर लेनदेन की वसूली और दूसरे व्यवहारों के चलते शुभकरा और बाग़लदा के सहरिया आदिवासी , गुर्जर और अपने रिश्तेदारों को खतरे में डाल दिया।
              लगभग 250 लोगो को  कोरंटिन किया गया। इन कोरंटिन केंद्रों में रह रहे लोग भी संयम समझदारी से काम नही ले रहे। बल्कि रोज रोज नई नई फरमाइस करके समस्याये ही पैदा कर रहे है।
        9 अप्रेल को राशिद की पुत्री शबनम एवं 13 अप्रेल उसके संपर्क में आया पड़ोसी इलियास कोरोना पॉजिटिव पाया गया। लग रहा था कि अब यह शायद विराम हो  और 20 अप्रेल को कुछ रियायते हमें मिल जाये । 
           पर आज 17 अप्रेल को हसन पुर हवेली का  रफ़ीक नामक व्यक्ति भी पॉजिटिव पाया गया।इस प्रकार नगर की सीमा के इस गाँव मे 10 दिन में 4 कोरोना पीड़ित हो गए।
             कोरोना पीड़ितों की बढ़ती संख्या ने तमाम पाबन्दियों  में 22 दिन से रह रहे इस नगर में चिंता की लकीरें खींच दी है। समझदार लोग अपने घरों में कैद है। बे चिंतित और भयभीत है ।  इस आपदा से मुक्ति की प्रार्थना भी कर रहे है।
          इसी समय फसल की कटाई , गेंहूँ का उपार्जन जैसे बड़े काम जिला प्रशासन के सामने चुनोती बन कर आ गए । इसी दौरान बड़े बड़े अग्निकांड भी हुए। इन्हें यथा समय राहत पँहुचाने का काम भी हुआ।
             अपनी कलेक्टर प्रतिभा पाल के सशक्त और प्रभावी नेतृत्व में  हम , हमारा स्टाफ प्रशासन की तमाम प्राथमिकता के कार्यो में समन्वय करते हुए अपने सीमित साधनों में बेहतर परिणाम देने का प्रयास कर रहा है। 
        पर कुछ ना समझ , सिस्टम के विरुद्ध चलने बाले लोग अब भी इस आपदा में शासन के निर्देशों को गंभीरता से नही ले रहे। 
             राजस्व प्रशासन के लोग दिनभर और देर रात तक इसी आपदा का मुकाबला कर रहे है।डॉक्टर ,स्वस्थ्य कर्मी पूरी शिद्दत से काम कर रहे है।नगर पालिका और सफाई कामगार भी मुस्तेद है।  पुलिस की तैनाती भी लगातार है। 
       आपदा का दर्द झेल रहे इस नगर का दर्द कुछ लोग
 समझ नही पा रहे ।बे न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे है और न प्रतिबंधात्मक आदेशों की परवाह ।अपने नगर के प्रति जिम्मेदारी की तो बात ही क्या करें ,फिर भी भगवान से तो हम यही प्रार्थना है कि इस जिले को इस कष्ट से राहत दिलाएं।
           काश ये बेनाम सा  दर्द  अब ठहर जाता और यह जिला  इससे मुक्त हो जाता।