दिग्गी , दद्दू और बरैया । ग्वालियर -चंबल उपचुनाव में कांग्रेस की रणनीति ।


                                               संपादक --प्रमोद दुबे की रिपोर्ट । 


भोपाल । पूर्व विधानसभा चुनाव में ग्वालियर - चंबल अंतर्गत लगभग 10 से 15 वर्ष बाद कांग्रेस पार्टी को अच्छी खासी जीत हासिल हुई थी , भारतीय जनता पार्टी के गढ़ एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठनों की पृष्ठभूमि तैयार करने वाली ग्वालियर चंबल की धरा पर कांग्रेश को जो ऐतिहासिक सीटें प्राप्त हुई थी, भले ही उनमें जीत हार का प्रतिशत कम रहा हो , परंतु सत्ता एवं सरकार के दरवाजे में दस्तक देने के लिए ग्वालियर चंबल का अपना विशेष महत्व रहा , इस बात में भी अतिशयोक्ति नहीं है कि ग्वालियर चंबल संभाग में सिंधिया राजघराने का विशेष प्रभाव रहा है, और रहेगा , इसलिए 2 माह पूर्व जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेश को त्याग ते हुए भारतीय जनता पार्टी का दामन पकड़ा, तब ग्वालियर चंबल संभाग से कांग्रेस का लगभग सूपड़ा साफ हो गया , अब भविष्य में आने वाले उपचुनाव अंतर्गत कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर से शून्य से शुरुआत करना होगी ।


उपचुनाव में दिग्गी और ज्योतिरादित्य ।


इसी चुनौती को कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में स्वीकार किया है । परंतु ग्वालियर चंबल संभाग में दिग्विजय सिंह की रणनीति एवं उनकी स्वीकारोक्ति किस स्तर तक जाती है ,उसका अंदाज लगाया जाना असंभव नहीं है , इतना साफ है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के वर्चस्व पर ग्वालियर चंबल संभाग में हमला करने के बाद दिग्विजय सिंह की रणनीति आसानी से सफलता प्राप्त नहीं कर सकती । इसलिए इतना साफ है कि आने वाले समय में विधानसभा उपचुनाव अंतर्गत ग्वालियर चंबल जहां पर  16 सीटों पर चुनाव होना है, वहां ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपनी इज्जत बचाते हुए दिग्विजय सिंह से सामना करना होगा ।


दिग्गी और सिंधिया की जमीनी रणनीति ।


मध्य प्रदेश की राजनीति में दिग्विजय सिंह जो 10 वर्ष तक लगातार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे , उनकी रणनीति को कमजोर आंकना भी भारतीय जनता पार्टी सहित ज्योतिरादित्य सिंधिया को महंगा पड़ सकता है , क्योंकि मध्य प्रदेश की राजनीतिक धारा में कांग्रेश अंतर्गत दिग्विजय सिंह को ना केवल रणनीतिकार ही कहा जाता , उन्हें चाणक्य के रूप में भी मध्य प्रदेश भर में चर्चित शख्सियत के रूप में जाना जाता है । दिग्विजय सिंह से जुड़े हुए लोग बेहद धरातल एवं आत्मीय रूप से उनका झंडा लेकर चलने वाले लोग रहे हैं , भले ही पीढ़ी समाप्ति की ओर है ,परंतु संगठन एवं पार्टी से हटकर उनसे जुड़े हुए लोग आज भी ग्वालियर चंबल क्षेत्र में विशेष रुप से क्षत्रिय बाहुल्य इलाकों में गांव के चप्पे-चप्पे पर एवं चौपालों पर मिल जाएंगे , वहीं दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपना वजूद है और वह वजूद आने वाले समय में लंबे समय तक रहेगा । ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति एक तरफ सहानुभूति है तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी का वह वादा की सामूहिक रूप से चुनाव लड़ने में समर्पित एवं संकल्पित रहेंगे ।


दिग्गी ,दद्दू और बरैया की कांग्रेसी रणनीति ।


दिग्विजय सिंह की रणनीति और उनके रणनीतिकारों को हल्के में लिया जाना, भारतीय जनता पार्टी को भी भारी पड़ सकता है । अब भारतीय जनता पार्टी जैसे रणनीतिकारों सहित ज्योतिरादित्य सिंधिया का संगठन आपस में किस तरह तालमेल करते हुए कार्यकर्ताओं को समेटकर आगे बढ़ता है , आने वाले उपचुनावों में यही अपने आप में बड़ी चुनौती है । फिलहाल दिग्विजय सिंह जैसे रणनीतिकार की रणनीति दिग्गी, दद्दू और बरैया से जुड़ी हुई दिखाई देती है । बल्लभ भवन समाचार पत्र को जो जानकारी एवं रणनीति के विषय में सूत्रों से ज्ञात हुआ है ,उसके अनुसार इस बार का चुनाव विशेष रूप से फूल सिंह बरैया को केंद्रित करते हुए जाति विशेष के समीकरण को साधते हुए ,कांग्रेस के बागी विधायकों के लिए चुनौती के रूप में सामने आएगा । अर्थात दिग्विजय सिंह अपने 20 वर्ष पुराने विश्वसनीय मित्र फूल सिंह बरैया जो ग्वालियर चंबल संभाग में विशेष रूप से बहुजन समाज से जुड़े हुए लोगों के बीच खांसी लोकप्रियता और पकड़ रखते हैं , दिग्विजय सिंह उनके साथ मिलकर संबंधित वोट बैंक को साधते हुए , भाजपा समर्थक बागी विधायकों के विरुद्ध रणनीति की तैयारी में है । वहीं दूसरी और दिग्विजय सिंह वरिष्ठ क्षत्रिय नेता के अभाव में कांग्रेसी योद्धा के रूप में चर्चित गोविंद सिंह उर्फ दादू को अपने साथ में रखेंगे । आने वाले समय में गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने की परिस्थितियां भी अब स्पष्ट हो चली है , यह दोनों ही स्थिति स्पष्ट करती है कि ग्वालियर चंबल संभाग में अब आने वाली रणनीति दद्दू ,दिग्गी और बरैया के सामूहिक नेतृत्व से जुड़ी हुई रहेगी ।


अजय सिंह राहुल भैया ,  एक बार फिर किनारा ।


ग्वालियर चंबल संभाग में इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह राहुल भैया को कई क्षत्रिय बहुल इलाकों में बेहद पसंद किया जाता है , इसके अतिरिक्त उनकी गंभीरता के चलते कई पुराने छत्रिय नेता सामाजिक रूप से आज भी उनसे जुड़े हुए हैं , परंतु ग्वालियर चंबल क्षेत्र में विशेष रूप से जबकि संपूर्ण दारोमदार दिग्विजय सिंह के हाथों में होगा तो एक बार फिर से अजय सिंह राहुल भैया को किनारा करने की स्थितियां स्पष्ट दिखाई देती हैं । क्योंकि दिग्विजय सिंह की हमेशा रणनीति रही है कि युवा चेहरों को हमेशा अपने परिवार को छोड़कर उन्होंने नेतृत्व के मामले मैं हमेशा पीछे रखा है   रणनीति और समर्थकों में वही व्यक्ति शामिल हो सकते हैं ,जो उनकी या तो गुलामी करें अथवा उनके लिए समर्पित रहें । इन दोनों ही मामलों में योग्य व्यक्ति होने के कारण अजय सिंह राहुल भैया को हमेशा प्रदेश की राजनीति में मुख्यधारा से बाहर रखा गया । यही ग्वालियर चंबल में आने वाले उपचुनाव अंतर्गत दिखाई देगा । अब देखना यह है कि इसका असर कांग्रेश के मूल वोट बैंक पर कितना पड़ता है ।


भाजपाई कार्यकर्ता और सिंधिया समर्थकों की संयुक्त रणनीति ।


ग्वालियर चंबल संभाग में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के लिए जीत हासिल करना बहुत अधिक कठिन नहीं माना जा सकता, परंतु अति उत्साह में रहना भी उचित नहीं । राजनीतिक परिदृश्य में तत्कालीन स्थितियां क्या होंगी ?  यह तो समय ही बताएगा परंतु इतना साफ है कि दिग्विजय सिंह की रणनीति का भी सामना करना इतना आसान नहीं है , हालांकि जब केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के द्वारा 22 कांग्रेश के विधायकों को भाजपा की सदस्यता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष एवं साथ में चलाई गई थी , उसी वक्त रणनीति तय कर ली गई होगी की सिंधिया समर्थक सभी विधायकों की जीत में क्योंकि वह भारतीय जनता पार्टी की तरफ से खड़े होंगे ,और भारतीय जनता पार्टी का बैनर एवं ध्वज सामने होगा।  तो कार्यकर्ताओं को भारतीय जनता पार्टी का ही समर्थन करना होगा . ऐसी स्थिति में ग्वालियर चंबल क्षेत्र जहां पर विशेष रूप से क्षत्रिय नेताओं में नरेंद्र सिंह तोमर की उपस्थिति ताकतवर है, वही भाजपा के कार्यकर्ता भी पूर्ण समर्पण के साथ वरिष्ठ नेताओं के आदेश पर इन विधायकों को जिताने के लिए तत्पर दिखाई देंगे ।  कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों की ही रणनीति आने वाले उपचुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग मैं दिखाई देगी ।