नई दिल्ली । रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी द्वारा महाराष्ट्र में साधुओं की हत्या को लेकर कांग्रेस पार्टी की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी एवं उनके अन्य रिश्तेदार का अपमानजनक तरीके से नाम लेने के मामले में कांग्रेश पार्टी द्वारा एवं उनके कार्यकर्ताओं के द्वारा कई प्रदेशों में की गई f.i.r. के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट अंतर्गत अर्णब गोस्वामी के द्वारा सभी मामलों में f.i.r. रद्द करने की मांग करते हुए , एक याचिका लगाई गई थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को बड़ी राहत देते हुए 3 हफ्ते तक उनकी गिरफ्तारी को स्टे कर दिया है । वहीं दूसरी और सुप्रीम कोर्ट का कहना है , इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए भी आवेदन दे सकते हैं , कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा लगातार अर्णव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के समक्ष बयान बाजी एवं अपने पक्ष रखने के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह की गंभीरता से नहीं लिया । एवं अर्णव को हर तरह की सुरक्षा देने का आदेश दिया ।
सोनिया की छवि खराब करने का है मामला ।
अर्णब ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और एमआर शाह की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की। अर्णब के बचाव में उतरे वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट को उनके खिलाफ बलपूर्वक उठाए कदमों से सुरक्षा मिलनी चाहिए।रोहतगी ने बेंच को बताया कि अर्णब ने अपने शो में पालघर लिंचिंग का मुद्दा उठाया था, वह सिर्फ इस मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहे थे। उन्होंने कहा कि अर्णब के खिलाफ मामले सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दर्ज कराए हैं और यह सिर्फ कांग्रेस प्रमुख की छवि खराब करने से जुड़े आरोप हैं ।
सिब्बल से संतुष्ट नहीं दिखी सुप्रीम कोर्ट ।
इस पर महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने शो का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या यही बोलने की आजादी है। सिब्बल ने कहा कि इस तरह के बयान देकर आप सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। अगर एफआईआर दर्ज हुई हैं, तो आप इसे रद्द क्यों करवाना चाहते हैं। जांच होने दीजिए। इसमें परेशानी क्या है ?
अंतरिम राहत का फैसला ।
इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि अर्णब गोस्वामी राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं, वे मीडिया से जुड़े हैं और उन्हें दर्ज हुई शिकायतों से सुरक्षा मिलनी चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तीन हफ्ते के लिए किसी भी तरह की कार्रवाई से अंतरिम राहत देने का ऐलान कर दिया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अर्णब चाहें तो इन मामलों में अग्रिम जमानत याचिका दायर कर सकते हैं, लेकिन उन्हें जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करना होगा।