बॉर्डर खुलते ही बदली प्रदेश की तस्वीर । अन्य प्रदेशों से आए अप्रवासी मजदूरों से 70% बड़ा संक्रमण ।

                                                 शासन के समक्ष दो तरफा चुनौती।


                      जिला एवं ग्रामीण स्तर पर मेडिकल सुविधाएं अपर्याप्त । 1 महीने में और बिगड़ेंगे हालात ।

 

 


 

     

 

भोपाल कार्यालय से विशेष रिपोर्ट ।

 

कोरोना वायरस संक्रमण का भयावह दौर अब अपनी पूर्णता एवं गंभीर स्थिति की ओर जा पहुंचा है । मध्यप्रदेश में यह संक्रमण 5000 को पार कर चुका है । सबसे अधिक चिंताजनक विषय यह है कि वर्तमान में यह संक्रमण दिन जिलों में एक भी पॉजिटिव नहीं था । बड़े जिले एवं तहसील तक पॉजिटिव मरीजों की संख्या अब प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । इन स्थितियों के पीछे जो सच सामने आया है वह है अप्रवासी मजदूरों का गांव एवं जिलों में पहुंचना । यह विषय मानवता से जुड़ा हुआ एक ऐसा विषय है जिसे स्वीकार भी करना पड़ता है और इससे चुनौतीपूर्ण तरीके से सरकार एवं समाज को आने वाले समय में जूझना भी होगा ।

 

प्रदेश में जहां पहुंचे अप्रवासी वहां पहुंचा संक्रमण ।

 

मध्यप्रदेश में महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों से विशेष रूप से महाराष्ट्र से 70% एवं अन्य राज्यों से 30% अप्रवासी मजदूर अपने संबंधित गांव एवं जिलों में जिन भी परिस्थितियों और स्थिति में पहुंचे हैं उन्होंने उन गांव एवं तहसील सहित जिलों की स्थितियों में को चुनौती के समक्ष खड़ा कर दिया है । यह हालात केवल गांव तहसील अथवा जिले की नहीं है वरन संभागीय स्तर पर मध्यप्रदेश में जो जिले आते हैं उनमें भी संक्रमित मरीजों की संख्या में प्रतिदिन इजाफा होता जा रहा है । ग्वालियर चंबल संभाग से लेकर बुंदेलखंड हो अथवा बघेलखंड । लगभग सभी जगह प्रवासी मजदूरों के कारण पॉजिटिव मरीजों की संख्या ही नहीं बड़ी बरन जो जिले ग्रीन जोन में आते थे वह जिले भी जिले भी धीरे-धीरे रेड जोन में परिवर्तित होते चले गए ।

 

इन जिलों में बढ़ते गए पॉजिटिव मरीज ।

 

इंदौर में 2 हजार 637, भोपाल में 1 हजार 46, उज्जैन में 362, जबलपुर में 184, खंडवा में 186, बुरहानपुर में 194, खरगौन में 114, धार में 107, ग्वालियर में 72, रायसेन में 67, देवास में 63, मंदसौर में 60, नीमच में 50, होशंगाबाद में 37, मुरैना में 38, बड़वानी में 33, रतलाम में 28, सागर में 23, भिंड मे 25, विदिशा में 15, रीवा में 14, आगर मालवा में 13, सतना में 9, शाजापुर में 8, झाबुआ मे 11, छिंदवाड़ा मे 5, सीहोर में 5, टीकमगढ़ में 6, श्योपुर में 5, सीधी में 5, अलीराजपुर में 3, अनूपपुर में 3, अशोकनगर में 3, बैतूल में 9, दतिया में 3, हरदा मे 3, शहडोल में 3, शिवपुरी में 3, डिंडोरी में 4, पन्ना में 2, दमोह-गुना-मंडला-सिवनी-उमरिया-राजगढ़-सिंगरौली में 1-1 मरीज।


प्रदेश में 80 हजार मामले बढ़ने का अनुमान ।


मरीजों की संख्या 5 हजार 508 हो गई है। राज्य में अब जो मरीज सामने आ रहे हैं वे उनमें वे लोग हैं जो दूसरे राज्यों से लौटे हैं। बालाघाट, डिंडोरी, पन्ना, दमोह, गुना, मंडला, सिवनी, उमरिया, राजगढ़, सिंगरौली, टीकमगढ़ और छतरपुर में जो भी मरीज मिले हैं, वे बाहर से आए हैं। इधर, ग्रीन जोन जिलों में मिली छूट में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही हैं। बाजारों और बैंकों समेत दूसरी सार्वजनिक जगहों पर भीड़ देखी जा रही है। ऐसे में संक्रमण फैलने की आशंका और बढ़ गई है।जुलाई तक प्रदेश में मरीजों की संख्या 80 हजार से एक लाख तक पहुंच सकती है। इसे ध्यान में रखकर सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई का कहना है कि प्रदेश में 80 हजार मामले बढ़ने का अनुमान है, लेकिन लोगों को घबराने की जरूरत नहीं बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें।


संक्रमितों में 94% गुजरात, महाराष्ट्र या दिल्ली से आए मरीज।


मध्यप्रदेश में विभिन्न जिलों के जो आंकड़े कोरोनावायरस पॉजिटिव संबंध में सामने आए हैं उसके अनुसार प्रदेश के भिंड मुरैना दतिया में महाराष्ट्र गुजरात एवं दिल्ली से आए हुए मरीजों के कारण संख्या सीधे-सीधे 94% तक बढ़ गई है । इन जिलों में कुल 35 कोरोनावायरस मरीज पाए गए हैं जो अप्रवासी मजदूर अथवा अन्य प्रदेशों से आए । वहीं दूसरी ओर बुंदेलखंड क्षेत्र को देखा जाए तो दमोह सागर छतरपुर टीकमगढ़ आदि क्षेत्रों में जितने भी संक्रमित मरीज पाए गए हैं उनका प्रतिशत 90% से अधिक है । और यह 90% मरीज प्रवासी मजदूर अथवा अन्य प्रदेश से आए हुए वह लोग हैं जो लोक डाउन के दौरान वहां फंस गए । इसी तरह सेंधवा में 5 मरीज नीमच में 3 मरीज एवं खंडवा एवं बालाघाट में जितने भी 10 दिन के अंदर मरीज सामने आए हैं जिसमें खंडवा में 22 मरीज एवं बालाघाट में तीन मरीज । उपरोक्त सभी मरीज महाराष्ट्र से आए हुए अप्रवासी मजदूर बता जाते हैं । इसी क्रम में दमोह एवं सीहोर में जो मरीज सामने आए हैं उनमें दिल्ली से आई स्पेशल ट्रेन जिसमें 1366 मजदूर थे सो के लगभग मजदूर और उनमें संक्रमण की स्थितियां सामने आई है । वहीं दूसरी ओर सीहोर में भी यही हालात हैं यहां पर श्रमिक एक्सप्रेस से आए हुए 7 लोगों को पॉजिटिव पाया गया है।


एंट्री पर स्क्रीनिंग का अभाव एवं मेडिकल सुविधाएं अपर्याप्त ।

 

मध्यप्रदेश में अप्रवासी मजदूरों के आने के बाद जिस गति से कोरोनावायरस संक्रमण के पॉजिटिव मरीज जिले एवं ग्रामीण स्तर पर बढ़ते जा रहे हैं उसका महत्वपूर्ण कारण है कि जैसे ही श्रमिक एक्सप्रेस अथवा अन्य वाहनों से या साधनों से संबंधित जिलों में मजदूर पहुंच रहे हैं एंट्री होने के बाद उनकी स्कैनिंग व्यवस्थित तरीके से नहीं की जा रही है । वहीं दूसरी और मेडिकल सुविधाओं की भी कमी लगभग सभी जिलों में है । आने वाले समय में शासन प्रशासन सहित मेडिकल सुविधाओं से जुड़े हुए लोगों के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती होगी कि अगर गंभीर रूप से बीमार मजदूरों का इलाज व्यवस्थित तरीके से नहीं किया गया तो यह संक्रमण संबंधित मजदूरों को मौत के आगोश में तो ले ही लेगा वहीं दूसरी और संक्रमण को और अधिक विकराल बना देगा । कुल मिलाकर मध्य प्रदेश सरकार पर अब आने वाले समय में जून अथवा जुलाई के महीने में गंभीर एवं चुनौतीपूर्ण स्थिति के सामने आ सकती हैं ।