धोखा खाए कमलनाथ । अब रणनीतिकार हो चले ...। उपचुनाव में भाजपा को बड़ी चुनौती की तैयारी ।

 


भोपाल कार्यालय । 


अरविंद सिंह तोमर की रिपोर्ट ।


 पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, मुख्यमंत्री के रूप में भले ही व्यवहारिक एवं सफल नहीं रहे , क्योंकि उन्हें अपने ही लोगों ने धोखा दिया और धोखा देते रहे । परंतु इतना साफ है की कुशल व्यवसाई कमलनाथ एक भावुक एवं अच्छे इंसानों में माने जाते हैं । मध्य प्रदेश की राजनीति में दूर रहे कमलनाथ राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में अपना बढ़ा कद होने के कारण मध्य प्रदेश में सत्ता के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं अन्य लोगों के भरोसे पर रहे थे । परंतु कमलनाथ को जिस तरह धोखा हुआ एवं धोखे में रखा गया । वह रणनीति सरकार जाने के बाद ही समझ में आई । अब कमलनाथ पिछले 1 महीने से रणनीतिकार कमलनाथ हो चले हैं ।


प्रदेश में उपचुनाव की कमान खुद के हाथ ।


मध्य प्रदेश में पिछले 1 महीने के अंदर बहुत कुछ हुआ है , कांग्रेसी खेमे में मध्यप्रदेश में जो कुछ अंदर ही अंदर चला है ,उसकी जानकारी वरिष्ठ कांग्रेसियों को ही है , परंतु धीरे-धीरे यह जानकारी अब साफ हो चली है । प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अब वह कमलनाथ नहीं रहे , जो अंधे होकर विश्वास किया करते थे । मध्यप्रदेश में आने वाले उपचुनाव को लेकर तस्वीर बिल्कुल साफ हो चुकी है , उप चुनावों की कमान स्वयं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ संभालेंगे , उपचुनाव में सीधे-सीधे दिग्विजय सिंह अथवा अन्य किसी वरिष्ठ नेता का दायित्व तय नहीं किया गया है । प्रदेश में आने वाले उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से जो भी उम्मीदवार तय किए जाएंगे वह कमलनाथ द्वारा तय की गई एक सर्वे एजेंसी के सर्वे पर आधारित होंगे ।


दिग्गी ,दद्दू को किनारा । नई टीम ।


पिछले 1 महीने से कमलनाथ टीम अब बदले स्वरूप में नजर आती है , विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 1 महीने से अधिक समय से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से बातचीत लगभग बंद हो चुकी है। ग्वालियर चंबल संभाग में जिस राजनीति को लेकर चर्चाएं गर्म थी की कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह एवं गोविंद सिंह की जोड़ी पूर्व बहुजन समाज पार्टी के नेता फूल सिंह बरैया के साथ मिलकर कांग्रेश के हित में कुछ चमत्कारी कार्य कर सकती है । इस रणनीति पर अब कमलनाथ ने पूर्णता विराम लगा दिया है। जानकारी के अनुसार दिग्गी एवं डॉक्टर गोविंद सिंह उर्फ दद्दू की टीम को कमलनाथ ने अब किनारे कर दिया है । अब कमलनाथ की टीम में मध्य प्रदेश के युवा चेहरे जो किसी विशेष ग्रुप से नहीं आते थे और अपने अपने क्षेत्र में चर्चित चेहरे नहीं है , उन्हें शामिल करते हुए अब उपचुनाव की तैयारी के लिए ग्वालियर चंबल संभाग में सर्वे टीम को लगाया गया है ।


भाजपा के बागियों एवं पुराने भाजपाइयों पर नजर ।


पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी नई टीम के साथ लगभग प्रतिदिन मध्यप्रदेश में उप चुनाव की तैयारियों को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करते हुए रणनीति बना रहे हैं । इस रणनीति में महत्वपूर्ण हिस्सा भाजपा के बागियों से लेकर पुराने भाजपाइयों से जुड़ा हुआ है। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों का कांग्रेसी चेहरा समाप्त होने के बाद भाजपाई चेहरे में शामिल होते ही अब भारतीय जनता पार्टी के संभावित क्षेत्रों में जहां उपचुनाव होने हैं , वहां पर बरसों से कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे स्थानीय नेता की बगावत पर कमलनाथ की नजर है। जो बगावत लगभग हर उपचुनाव सीट पर सामने आएगी। इसके अलावा कई मध्यप्रदेश में वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं जो प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस तोड़फोड़ से नाराज हैं एवं वरिष्ठता की सूची में आते हैं। कमलनाथ उन वरिष्ठ भाजपाइयों पर भी डोरे डाल सकते हैं । जिसकी रणनीति चुनाव के ठीक पहले दिखाई देगी ।


भाजपा को बड़ी चुनौती देने की तैयारी में ।


पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अब भारतीय जनता पार्टी को बड़ी चुनौती देने की तैयारी में रणनीति तैयार कर रहे हैं , एक जानकारी के अनुसार भाजपा के कई नाराज विधायक जो आने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल होने से बेदखल होने का खतरा महसूस कर रहे हैं , पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में है । वहीं दूसरी ओर उपचुनाव के दौरान मैदानी क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सीधे संपर्क में भाजपा के बागी आने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आने वाले समय में अपने ही घर में बगावत के स्वर ही सुनाई नहीं देंगे बरन आने वाला समय भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण दिखाई देगा । भारतीय जनता पार्टी के लिए अपने मुख्य गढ़ ग्वालियर चंबल हो अथवा बिंद क्षेत्र एवं मालवा इन सभी जगहों पर कमलनाथ की रणनीति का मुकाबला सीधे-सीधे उपचुनाव के दौरान करना होगा । इस मामले में कमलनाथ की रणनीति किस करवट बैठती है । एवं भाजपा इस रणनीति का किस तरह मुकाबला करती है यह तो आने वाला समय बताएगा ।


परंतु इतना तय है कि अब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अब वह कमलनाथ नहीं रहे, जिन्होंने किसी समय में अपनों से धोखा खाया था ।