हसनपुर हवेली - रूपेश उपाध्याय डिप्टी कलेक्टर ।
हसनपुर हवेली के नाम से तो लगता है कि यहाँ कभी कोई हवेली रही होगी, जिस पर गाँव का नाम हसनपुर हवेली पड़ा होगा , पर यहाँ हवेली जैसा कुछ नही है। एक मामूली सा गाँव है जहाँ चार कोरोना संक्रमित व्यक्ति पाये जाने से यह गाँव श्योपुर जिले में चर्चा का कारण बना।
श्योपुर नगर की सीमा पर ही बंजारा डेम के ऊपर बसा होने से इस गाँव की स्थिति श्योपुर नगर के लिए सीमा प्रहरी की तरह है किन्तु कोरोना के चलते यह श्योपुर नगर के लिए खतरे की घंटी बन गया।
हसनपुर हवेली निवासी रशीद खान ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में 7 अप्रेल को कोरोना संक्रमित पाया गया। रिपोर्ट आते ही श्योपुर में सनसनी फैल गई।
हमारे सबडिवीजन का गाँव होने से अब फ्रंट लाइन में इस परिस्थिति का सामना हमे ही करना था। कोरोना पीड़ित की सभी निकट सम्बन्धी और सम्पर्क बालों को चिन्हित कर कोरोना केयर सेंटर या कोरंटिन किया जाना था।
राशिद झोला छाप डॉक्टर था । उसने सामाजिक व्यबहार भी बहुत पाल रखा था। इस कारण उसके कॉन्टेक्ट में 260 से भी अधिक लोग निकले सब को तलाश कर कोरंटिन सेंटर तक लाने का दायित्व हमारे राजस्व अमले का ही था।
यह हम कर ही पाये थे कि 10 अप्रेल को राशिद की पुत्री भी कोरोना संक्रमित पाई गई। 13 अप्रेल को इलियास और 17 अप्रेल को रफ़ीक भी कोरोना संक्रमित निकला ।
ये सभी संक्रमित एक ही गाँव हसनपुर हवेली के थे।हर नया संक्रमित नया भय लेकर आता। हर नया कोरोना संक्रमण का केस मिलने पर एक ही कहानी दोहरानी पड़ती ।
हर बार यह मुश्किल टास्क होता। संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल तक पंहुचाना। उसके संपर्क बालो को कोरंटिन करना हमेशा ही मुश्किल काम होता पर राजस्व का अमला इसे हर हालत में करता।
कंटेन्मेंट ज़ोन की सतत निगरानी एवं आवश्यक बस्तुओं की आपूर्ति तो आवश्यक काम था ही सबसे मुश्किल काम लोगो को घरों के भीतर रखना था।इसके लिए पुलिस की तैनाती तो थी ही सी सी टी वी कैमरा और ड्रोन से निगरानी भी की जाती रही।
लगातार ड्यूटी , आबश्यक बस्तुओं की आपूर्ति ,सतत निगरानी, कोरंटिन सेंटर्स पर अनेक तरीक़े की अपेक्षाएँ , नखरे , अनेक तरह के दवाव आदि लगातार झेलते झेलते एक माह निकल गया।
सभी कर्मचारियों ने पूरे मनोयोग से काम किया।और अंततः श्योपुर के चारो कोरोना संक्रमित ठीक होकर घर बापस हो गए।
इसके तीन सप्ताह व्यतीत होने तक कोई भी नया कोरोना केश नही आया। तब हसनपुर हवेली का कंटेन्मेंट ज़ोन समाप्त हुआ।
भय और मुश्किल हालात भी लगातार संपर्क होने से उस स्थान से कई बार जोड़ देते है। हसनपुर हवेली गाँव मे अनेकों बार जाना हुआ।
राजस्व अमले ने बगैर भय के कोरोना संक्रमित इस गाँव मे दायित्व निर्वहन किया। और अंततः हम कोरोना पर जीत गये।
यह रोज का आना जाना इन मुश्किल हालात में काम करना कही न कही हमे हसनपुर हवेली से जोड़ गया। एक अनजान से गाँव से पहिचान गहरी हो गई। अपने जीवन अब शायद ही हम हसनपुर हवेली को भूल पायें।