शराब नीति में बड़े बदलाव के संकेत। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मिले व्यवसाई ।

   


भोपाल कार्यालय ब्रेकिंग ।


मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कल रात को जारी आदेश में भोपाल सहित उज्जैन इंदौर खंडवा आदि शहरों के नगरीय क्षेत्रों में शराब की दुकाने खोलने के आदेश के बाद आज मध्य प्रदेश के शराब व्यवसाई प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से उनके निवास पर जाकर मिले । लोक डाउन की 2 महीने से अधिक के चलते इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार को जिस राजस्व का नुकसान हुआ है उसके अलावा प्रदेश के शराब व्यापारियों को हुए नुकसान एवं वर्तमान स्थितियों पर प्रदेश के गृहमंत्री से गंभीर विषय पर विस्तृत चर्चा हुई । चर्चा के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शराब व्यवसायियों को आश्वासन दिया कि उनके साथ न्याय करते हुए व्यापार के हित में जो भी आवश्यक होगा , हर स्तर पर मदद की जाएगी । शराब व्यवसाय की ओर से अपना पक्ष रखते हुए सोम डिस्टलरी भोपाल के मालिक जगदीश अरोड़ा ने इस विषय में गंभीरतापूर्वक नरोत्तम मिश्रा गृह मंत्री के समक्ष अपना निवेदन रखा ।


शराब नीति में आवश्यक बदलाव के बाद ही हो सकता है व्यवसायियों के साथ न्याय ।


प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भले ही शराब व्यापारियों को आश्वासन दे दिया है कि उनके साथ न्याय किया जाएगा परंतु इतना स्पष्ट है कि वर्तमान संचालित शराब नीति के चलते शराब व्यवसायियों के साथ व्यापारिक स्तर पर न्याय होना आसान नहीं है । इस स्थिति में कांग्रेस सरकार के दौरान जारी आबकारी नीति मैं आवश्यक रूप से बदलाव की आवश्यकता है । अगर आपकारी नीति में बदलाव की स्थितियां सामने आती है तो निश्चित रूप से कैबिनेट की बैठक करना एवं मुख्यमंत्री स्तर पर इसमें संशोधन करने की आवश्यकता सामने आएगी । क्योंकि व्यापारी वर्ष 2020 - 21 के संभावित टेंडर के अंतर्गत 2 महीने से अधिक समय तक लोग डाउन के कारण बंद हुई दुकानों से वर्ष की फीस एवं अन्य नुकसान की मांग कर रहे हैं । यह संशोधन केवल आबकारी नीति में संशोधन के साथ ही हो सकता है ।


राजस्व का घाटा एवं व्यापारियों को घाटा ।


प्रदेश सरकार को लोक डाउन के चलते जो राजस्व शराब के कारोबार से प्राप्त होता है उसकी तुलना लगभग प्रतिदिन 25 से 30 करोड़ मानी जाती है इस हिसाब से मध्य प्रदेश सरकार को दुकानें बंद होने से 1000 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है । वहीं दूसरी ओर शराब व्यापारियों को 2 महीने से अधिक समय तक शराब बंद रखने से शराब विक्रय का नुकसान हुआ है उसकी भी पूर्ति करना इतना आसान नहीं होगा । कुल मिलाकर मध्य प्रदेश सरकार के समक्ष सबसे बड़ा गंभीर संकट यही है कि किस तरह व्यापारियों से लेकर सरकार के हित में जाने वाली राजस्व को इस तरह संयोजित किया जाए कि दोनों तरफ का नुकसान कम से कम हो और व्यापारी को भी लाभ प्राप्त हो ।