- बुंदेलखंड के गांव में कोराना का ग्रहण
- बुंदेलखंड की सीमा झांसी में रोके गए मजदूर
- हिंदुस्तान के कई प्रांतों से इकट्ठे होकर पहुंचे हैं मजदूर
एक जानकारी के अनुसार बुंदेलखंड की जमीन से लगभग 500000 से अधिक मजदूर एवं गरीब वर्ग के लोग हिंदुस्तान की कई प्रांतों में मजदूरी करने के लिए जाते हैं, पिछले 15 दिवस के अंतराल में कोरोनावायरस की दहशत के बीच यह मजदूर अपने अपने मजदूरी वाले प्रांतों से पैदल ही बुंदेलखंड की धरती की ओर निकल चुके हैं, इन मजदूरों में से कम से कम 100000 से अधिक मजदूर इस समय बुंदेलखंड के सीमा प्रांतों से लगे हुए उत्तर प्रदेश की सीमा में जाकर एकत्रित हो गए हैं, विगत 24 घंटे के अंतराल में उत्तर प्रदेश से लगी हुई सीमा में स्थानीय पुलिस प्रशासन एवं उत्तर प्रदेश शासन के सामने एक बड़ा एवं गंभीर संकट पैदा हो गया है जिसके चलते मध्य प्रदेश सरकार से उत्तर प्रदेश सरकार की लगातार चर्चा जारी है,
दोनों सरकारों के बीच चल रही है चर्चा
जानकारी के अनुसार पिछले 24 घंटे के अंतराल में उत्तर प्रदेश से लगी हुई सीमा के बीच जिस तरह के हालात मजदूरों के मध्य प्रदेश एवं बुंदेलखंड में प्रवेश को लेकर बने हुए हैं उसको लेकर केंद्र सरकार एवं गृह मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को सीधे निर्देश दिए गए हैं कि मजदूरों को मध्य प्रदेश अथवा बुंदेलखंड की सीमा में प्रवेश करने के लिए उनकी जांच आवश्यक है,
इन निर्देशों के क्रम में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश सरकार की शासन एवं पुलिस प्रशासन से जुड़े हुए अधिकारी सीमा पर लगभग 100000 मजदूरों को रोक चुके हैं जहां उनका मेडिकल परीक्षण किया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश के लिए गहन संकट
एक लाख से अधिक मजदूरों के बुंदेलखंड क्षेत्र में पहुंचने की स्थितियों को देखते हुए दोनों प्रदेशों की सरकारों के लिए गहरा संकट पैदा हो गया है सबसे बड़ा संगठन का मेडिकल टेस्ट के अलावा भोजन से लेकर इनको कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाने का है, जानकारी के अनुसार 100000 से अधिक संख्या में आए हुए इन मजदूरों की संख्या आने वाले 24 घंटे के अंतराल में और अधिक हो सकती है हालांकि उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारी बताते हैं कि संबंधित मजदूरों के गहन परीक्षण एवं भोजन की पर्याप्त व्यवस्थाएं की जा चुकी है
भूख से जंग
भूख की विभीषिका से जंग लड़ते हुए 1 लाख से ज्यादा मजदूर झांसी के 1065 गांवों के लिए पैदल ही रवाना हो गए हैं। जिले की सीमाएं सील होने के कारण कोई खेतों के रास्ते तो कोई रेल की पटरियों से होते ही अपने गांवों के लिए चल दिया है। यह वे मजदूर हैं जो देश के तमाम महानगरों में अपनी राेजीरोटी के लिए संघर्ष करते हैं।
मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश बॉर्डर सील होने के बाद भी मंगलवार को झांसी में लॉकडाउन फेल नजर आया। कोरोना का संक्रमण कम्युनिटी लेवल पर न पहुंचे, इसके लिए लॉकडाउन लागू कराने की जिम्मेदारी डीएम-एसपी पर दी गई है, लेकिन झांसी में प्रशासन लॉकडाउन लागू कराने में फेल नजर आया। डीएम आंद्रे वामसी ने कहा- बॉर्डर सील पूरी तरह से सील है। आवाजाही रोकने का भी दावा किया गया। कहा- सिर्फ इमरजेंसी वाहनों को अंदर आने की इजाजत है। लेकिन, जनपद के अंदर से लाखों की संख्या में मजदूर गुजर गए।
यूपी और एमपी बॉर्डर पर जिला प्रशासन ने मजदूरों को ट्रकों में भर दिया और कहा कि इन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचा दिया जाए। ट्रक वाले पुलिस के डर से मजदूरों को बैठा तो रहे थे, लेकिन वहां से कुछ ही दूरी पर उतार कर चले जाते थे। ये सिलसिला पूरे दिन और रात में भी चलता है। एमपी बॉर्डर से लेकर शहर की सीमा तक पैदल चलने वाले मजदूरों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई थी। चंडीगढ़, गुड़गांव, हरियाणा, नोएडा और दिल्ली से आने वाले इन मजदूरों की महिलाएं सिर पर सामान की बोरी और गोद में मासूम बच्चों को लिए नजर आ रही थीं। पिता भी भारी सामानों का बोझ लादे हुए नजर आ रहे थे। कोई बच्चा अपने दादा की पीठ में चिपका था तो कोई अपनी दादी से पानी मांग रहा था। जब ये मजदूर चलते चलते थक जाते थे तो तेज धूप में कहीं छाया का सहारा लेकर थोड़ी देर आराम कर लेते थे।