भोपाल । मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर एक तरफ जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं एवं प्रशासनिक स्तर पर भी दिखाई जा रही है वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी मुद्दे सामने आ जाते हैं जिसको लेकर जाने अनजाने में मुख्यमंत्री सहित भारतीय जनता पार्टी को भी संगठनात्मक स्तर पर शर्मिंदगी उठाना पड़ती है । कोरोना वायरस संक्रमण के विरुद्ध की जा रही जंग के अंतर्गत चार दिवस पूर्व जब आयुर्वेदिक काढ़ा के वितरण की योजना का शुभारंभ किया गया जिसे अमृत योजना के नाम से नवाजा गया , इसे मध्य प्रदेश भर में सराहना मिली ।परंतु प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का इस कार्य के पैकेट पर फोटो छपा हुआ देखकर कांग्रेस पार्टी के नेता बौखला उठे और उन्होंने इसे प्रचार का बेहद हल्का और निम्न स्तर का माध्यम बताया । मामला तभी से गर्मा गया और इस विषय को लेकर कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान पक्ष विपक्ष में खींचातानी चलती रही ।
काढ़ा के पैकेट से हटेगा मुख्यमंत्री का फोटो ।
आयुर्वेदिक काढ़ा का पैकेट जो मध्य प्रदेश भर में एक करोड़ से अधिक की संख्या में प्रदेश के सभी लोगों के घर-घर तक पहुंचाया जाएगा , इस काढ़ा के पैकेट को निशुल्क वितरित किए जा रहा है । परंतु इस पैकेट में शिवराज सिंह चौहान जी का फोटो होने के कारण इस पर जो विवाद शुरू हुआ तो वह भी थमने का नाम नहीं ले रहा है । 2 दिन पहले शुरू हुए इस विवाद में अब राज सभा सदस्य कांग्रेस के एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा भी कूद पड़े हैं , कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ताओं सहित वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तो लगातार शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगा रहे हैं कि संक्रमण के इस मानवीय दौर में इस तरह का प्रचार-प्रसार उचित नहीं है । प्रदेश के संगठनात्मक स्तर पर इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात की है और कहा है कि इस मामले में फोटो लगाना उचित नहीं लगता है , इस मामले में भाजपा संगठन की ओर से एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह पैकेट के ऊपर फोटो लगाने का निर्णय मुख्यमंत्री के स्तर का नहीं था। इसे शीघ्र ही वापस लिया जाएगा ।
तनखा का ट्वीट । माफ करिए शिवराज जी ।
इस मामले में आज सुबह ही सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तंखा ने ट्वीट करते हुए लिखा करुणा की इस जंग में आप का चित्र पैकेट पर आना बहुत गलत मैसेज है एवं इसे दंडनीय अपराध ही कहा जाएगा अथवा जिस अधिकारी के माध्यम से यह आदेश किया गया है उसे दंडित किया जाए ।