प्रदेश भर में जूनियर डॉक्टर्स के इस्तीफे जारी
मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे कोरोनावायरस के संक्रमण की स्थितियां बिगड़ती जा रही है वैसे-वैसे मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग लगातार कमजोर होता हुआ दिखाई देता है, ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश में प्रदेश के नेतृत्व अंतर्गत मुख्यमंत्री से लेकर प्रशासनिक मशीनरी कोई भी मेहनत अथवा अपने कर्तव्य से विमुख होती हुई दिखाई दे रही हो बरन हकीकत यह है कि मानवता के लिए काम करने वाले मानवता के पुजारी का उद्बोधन लेकर सम्मानित होते हुए भी अब डॉक्टर लगातार इस्तीफा देने की स्थिति में जा पहुंचे हैं .
इस्तीफा का क्या कारण है ?
मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस के संक्रमण के साथ ही एक अजीबोगरीब दहशत का माहौल भी व्याप्त हो गया है, यह दहशत मध्यप्रदेश में उस समय फैली जब मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की ही प्रमुख सचिव पल्लवी जैन को कोरोनावायरस पॉजिटिव निकला उनके साथ-साथ उनके विभाग में पदस्थ एवं उनके संपर्क में रहने वाले फाइलिंग वर्क से जुड़े हुए स्टाफ को भी इस संक्रमण ने अपनी गिरफ्त में ले लिया,
अचानक एवं अप्रत्याशित तरीके से पहले इस स्वास्थ्य विभाग पर हुए वायरस के अटैक ने संपूर्ण मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग पर मानसिक रूप से गहरा आघात पहुंचाया, वहीं दूसरी ओर सीनियर डॉक्टरों को छोड़कर जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मानवता पूर्ण कर्तव्य परायणता से जुड़ी हुई ड्यूटी को मात्र एक व्यवसाय समझ लिया, वहीं दूसरी और स्वास्थ्य विभाग मैं मध्य प्रदेश भरकर रिकॉर्ड देखा जाए तो सीनियर डाक्टरों में इस्तीफा देने का प्रतिशत मात्र 1% ही है, कुल मिलाकर जूनियर डॉक्टर इस माहौल से घबरा गए, और इस्तीफा का दौर प्रारंभ हो गया ,
अब ग्वालियर में 50 डॉक्टरों का इस्तीफा
विगत दिवस के अंतराल में भोपाल से शुरू हुए जूनियर डॉक्टरों के इस्तीफे इंदौर तक पहुंचते हुए अब ग्वालियर भी जा पहुंचे हैं, जानकारी के अनुसार इंदौर एवं भोपाल में जूनियर डॉक्टरों के इस्तीफे लगभग 4 दर्जन से अधिक गिने जा सकते हैं, परंतु राहत की बात यह है कि इन जूनियर डॉक्टरों को संविदा के आधार पर मानवीय रूप से इस आपात स्थिति में ही भर्ती किया गया था, एवं उनसे बांड भी भरवाया गया था, परंतु उन्होंने घबरा कर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए इस्तीफा दे दिए,
हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इन स्थितियों से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है सारी व्यवस्थाएं एवं सीनियर डॉक्टरों ने अपना कार्य जारी रखा हुआ है , इस कारण प्रदेश के स्वास्थ्य से जुड़े हुए मामले हो या कोरोनावायरस से जुड़ा हुआ संवेदनशील कार्य, किसी भी कार्य में कोई भी रुकावट नहीं आ सकती, देर शाम को ग्वालियर से भी जूनियर डॉक्टरों के इस्तीफे की जानकारी समाचार पत्र को प्राप्त हुई .ग्वालियर में गजराराजा मेडिकल कॉलेज के 50 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने इस्तीफा दे दिया है। करीब सप्ताहभर पहले ही जीआरएमसी में 92 रेजिडेंट जूनियर डॉक्टर ने ज्वाइन किया था, एक हफ्ते के अंदर इनमें से 50 डॉक्टरों ने अपने इस्तीफे दे दिए। उनसे जो बांड भरवाया गया था, उसके बदले भी 5 लाख रुपए बाद में भरने को राजी हो गए हैं।
एस्मा के बाद भी इस्तीफे
इधर, 8 अप्रैल को शिवराज सरकार ने प्रदेश में एस्मा लगा दिया था, जिससे 25-30 डॉक्टरों के इस्तीफे नामंजूर हो गए हैं। गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के पीआरओ डॉ. केपी रंजन ने बताया कि कि उनके पास पर्याप्त स्टॉफ है, इन डॉक्टरों की भर्ती इमरजेंसी के लिहाज से की गई थी। कोरोना से लड़ने के लिए गजराराजा मेडिकल कॉलेज ने 114 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी।
3 महीने की संविदा नियुक्ति
गजरा राजा मेडिकल कॉलेज ने 114 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी। 3 महीने की संविदा नियुक्ति के लिए भर्ती के दौरान करीब 92 डॉक्टर ज्वाइनिंग के लिए तैयार हुए थे, इन डॉक्टर्स ने एक अप्रैल को ज्वाइन किया। जीआरएमसी ने इन डॉक्टर्स को जयारोग्य अस्पताल, कमलाराजा महिला एवं बाल चिकित्सालय और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में तैनात किया था, लेकिन तैनाती के हफ्ते भर के अंदर कोरोना के डर से 50 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया।