ग्वालियर - चंबल में उपचुनाव , दिग्गी के अलावा कोई नहीं , जनता को स्वीकार नहीं ।

                                                                     पंडित अशोक दुबे 


                                 


भोपाल , मध्य प्रदेश की स्थिति वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में बढ़ी ही अजीबोगरीब है , एक तरफ जहां प्रदेश में मंत्रिमंडल ही नहीं है ,वहीं दूसरी ओर कोरोनावायरस संक्रमण के चलते मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनावों की स्थितियां भी समय को लेकर संशय में दिखाई देती है । उपचुनाव कब होंगे ? अभी कुछ नहीं कह सकते, परंतु इतना तय है कि मध्यप्रदेश में उपचुनाव अब अक्टूबर अथवा नवंबर से पहले होने की कोई स्थितियां दिखाई नहीं देती ।परंतु हमें उन परिस्थितियों कि और भी देखना होगा जब मध्य प्रदेश में 22 सीटों पर उपचुनाव होंगे।


ग्वालियर चंबल संभाग, अब कांग्रेस 0 की स्थिति में 


  सबसे अधिक महत्वपूर्ण उपचुनाव की स्थितियां ग्वालियर चंबल संभाग की रहेंगी, बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में जब एक तरफ ग्वालियर चंबल संभाग के कांग्रेश के कर्णधार ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं उन स्थितियों में कांग्रेश निश्चित रूप से धरातल से एक बार पुनः उसी तरह प्रारंभ करेगी जिस तरह लगभग 50 वर्ष पूर्व पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में संघ के मुख्य कर्म क्षेत्र ग्वालियर चंबल संभाग से कांग्रेश पार्टी ने प्रारंभ किया था । निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए खोने के लिए आने वाले समय में कुछ भी नहीं होगा, क्योंकि एक बार सब कुछ पुनः प्रारंभ करने की ही स्थितियां है। ग्वालियर चंबल संभाग के लिए अब कांग्रेस 0 की स्थिति में आ चुकी है ।


दिग्विजय सिंह ही होंगे सर्वे सर्वा ।


ग्वालियर चंबल संभाग की राजनीति एवं रणनीति अंतर्गत कांग्रेस पार्टी के पास दिग्विजय सिंह के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि एक तरफ जहां कमलनाथ मध्य प्रदेश की राजनीति से सक्रिय रूप से कभी भी नहीं जुड़े रहे ,वहीं दूसरी ओर अन्य कोई कांग्रेस का नेता प्रदेश स्तर पर कांग्रेस पार्टी के लिए भारतीय जनता पार्टी के मुकाबले चर्चित चेहरा भी नहीं रहा । इस विपरीत स्थिति में कांग्रेश के पास जबकि खोने के लिए कुछ भी नहीं बचा, उस स्थिति में कांग्रेस पार्टी के सर्वे सर्वा ग्वालियर चंबल संभाग में दिग्विजय सिंह ही होंगे ।  वही ग्वालियर चंबल संभाग कि रणनीति कांग्रेस के लिए तय करेंगे, और वही कांग्रेश के लगभग 16 उम्मीदवारों की उम्मीदवारी पर मोहर लगाएंगे ।अब देखने वाली बात यह है की उम्मीदवारों का चयन किस आधार पर किया जाता है? उम्मीदवार कौन होंगे? और उम्मीदवारों के सामने दो तरफा भाजपा एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक कितनी बड़ी चुनौती बनकर सामने खड़े होंगे ? इस विपरीत परिस्थिति में कांग्रेस के पास रणनीतिकार के रूप में केवल दिग्विजय सिंह ही सामने है, एवं राष्ट्रीय नेतृत्व के पास भी कोई विकल्प नहीं है ।


जनता को स्वीकार नहीं दिग्विजय ।


मध्य प्रदेश की राजनीति में जनता के योगदान को अगर देखा जाए तो आज भी मध्य प्रदेश की ग्वालियर चंबल संभाग से जुड़ी हुई सामाजिक परिदृश्य के रूप में वोटर बनने वाली जनता आज भी दिग्विजय सिंह को पसंद नहीं करती है , आज भी दिग्विजय सिंह को ग्वालियर चंबल संभाग में श्रीमान बंटाधार के रूप में ही याद रखा जाता है, जबकि एक पीढ़ी से अधिक समय होने के बाद भी मध्य प्रदेश की जनता उनके प्रति सकारात्मकता तो छोड़िए , नफरत की भावना को भी खत्म नहीं कर पाई है । वहीं दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति एक प्रदेश स्तर का चर्चित चेहरा एवं आकर्षक व्यक्तित्व होने के कारण उपचुनावों में उनके प्रति ना चाहने की स्थितियों में भी समर्पण की भावना रहेगी , ग्वालियर चंबल संभाग के लोगों का मानना है कि दिग्विजय सिंह ही वह व्यक्ति है, जिनके कारण कांग्रेश की सरकार गई एवं कांग्रेश के मुख्य स्तंभ ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हुए , अब ऐसी स्थिति में जब जनता का पूरी तरह नकारात्मक व्यवहार एवं मानसिकता दिग्विजय सिंह के विरुद्ध रहेगी, तब उनके समर्थकों को दिग्विजय सिंह के चेहरे अथवा कांग्रेश के वोटर अथवा व्यक्तिगत वोट, इन में से क्या तय होता है , यही गणित कांग्रेश के भविष्य को ग्वालियर चंबल संभाग में बनाएगा अथवा पूरी तरह नकारेगा ।


कांग्रेस का स्टार प्रचारक कौन ?


आने वाले उपचुनावों में कांग्रेस का स्टार प्रचारक कौन होगा? यह प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी की ओर से संपूर्ण भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक चाहे वह ग्वालियर चंबल संभाग से जुड़े हुए नरेंद्र सिंह तोमर अथवा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चर्चित चेहरा ।


वहीं दूसरी और कांग्रेस पार्टी की ओर से कौन होगा ? क्योंकि मध्यप्रदेश में चर्चित चेहरे के रूप में एवं आकर्षक व्यक्तित्व के रूप में केवल और केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेसका उभरता हुआ भविष्य ही माना जाता था, जो अब भारतीय जनता पार्टी का चेहरा बन चुके हैं , ऐसी स्थिति में स्टार प्रचारक की बेहद कमी रहेगी एक तरफ ध्यान ग्वालियर चंबल संभाग में दिग्विजय सिंह द्वारा तय किए गए उम्मीदवारों को बड़ी आसानी से भारतीय जनता पार्टी द्वारा हराने की तैयारी की जाएगी ,वहीं दूसरी ओर कांग्रेश के पास कोई भी स्टार प्रचारक ना होने की स्थितियों के चलते चुनाव में सुन्नता ही नजर आएगी । कुल मिलाकर ग्वालियर चंबल संभाग में पूर्व विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों की भरपूर जीत के चलते कांग्रेस पार्टी को एकतरफा जीत हासिल हुई थी वहीं दूसरी ओर उप चुनावों में भी कांग्रेस की हार उसी तरह होने की स्थितियां दिखाई देती हैं जिस तरह भारतीय जनता पार्टी की पूर्व विधानसभा चुनावों में हार हुई थी ।