चीन से मंगवाई गई टेस्टिंग किट की सफलता पर कई राज्य सरकारों ने सवाल उठाए. जिसके बाद इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. इस बीच अब भारत सरकार उन दूसरे रास्तों पर विचार कर रही है, जिससे टेस्टिंग की रफ्तार में कमी ना आ पाए.कोरोना वायरस के खिलाफ देश में जारी जंग के बीच एक सवाल लगातार चिंता बढ़ा रहा है. टेस्टिंग की जिस रफ्तार को बढ़ाने के लिए चीन से लाखों की संख्या में रैपिड टेस्ट किट मंगवाई गई थी, उसकी सफलता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है. कई राज्य सरकारों की आपत्ति के बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है, अब करीब दो दिन के भीतर संस्थान बताएगा कि किस तरह इसे उपयोग में लाया जाए.
इन संशय के बादलों के बीच सरकार एक दूसरे स्तर पर भी काम करने में जुटी है, ताकि टेस्टिंग की रफ्तार ढीली ना पड़ जाए. रैपिड टेस्टिंग किट पर सवालों के बीच दूसरा रास्ता क्या है...
मेक इन इंडिया टेस्टिंग किट पर जोर
अभी ICMR के 8 एक्सपर्ट्स राज्य सरकारों द्वारा दी गई रिपोर्ट्स की स्टडी कर रहे हैं. संकेत इस बात के मिल रहे हैं कि सरकार मेक इन इंडिया टेस्टिंग किट पर जोर दे सकती है. इसके अलावा सरकार एक दूसरे प्लान पर काम कर रही है. जिसके तहत मानेसर में मौजूद साउथ कोरियाई कंपनी की ब्रांच में टेस्टिंग किट के प्रोडक्शन को बढ़ाया जा सकता है,साउथ कोरियाई कंपनी SD Biosensor को ICMR से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, ऐसे में मानेसर में मौजूद ये यूनिट एक हफ्ते में 5 लाख टेस्टिंग किट तैयार कर सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने करीब 47 लाख टेस्टिंग किट का ऑर्डर दिया हुआ है. लेकिन अभी तक चीन से 5 लाख किट आई हैं.
• ICMR का मानना है कि रैपिड टेस्टिंग का मतलब ये नहीं कि कोविड-19 को लेकर हो रहा दूसरे रूटीन टेस्ट को रोक दिया जाए. राज्यों को RT-PCR टेस्ट पर अधिक फोकस करना चाहिए.