कोरोना पॉजिटिव । बेटा , पिता की देह जलती हुई देखता रहा । तहसीलदार ने किया अंतिम संस्कार ।

                                                                                                        


                          क्या यही कलयुग है ?                      


इंसान जिंदगी भर अपनी संतानों के लिए क्या नहीं करता? परंतु मानवीय रिश्ते जब कलयूगी रिश्ते के रूप में सामने दिखाई देते हैं, तो आत्मा झकझोर देते हैं ! इस युग में ऐसे ही रिश्ते विशेष रूप से कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान होने वाली मौतों के दौरान लगातार सामने आ रहे हैं, जहां रक्षा करते हुए कोरोनावायरस फाइटर मौत को गले लगा रहे हैं, तो दूसरी और सेवा में लगे हुए नर्स डॉक्टर आदि  कोरो ना संक्रमण के खुद शिकार हो रहे हैं ।


एक ऐसा ही मानवीय रिश्ते को तार-तार कर देने वाला मामला भोपाल के नजदीक बैरागढ़ के समीप सामने आया , पिता की मौत को रोना संक्रमण के कारण हुई, और मौत के बाद अंतिम संस्कार की क्रिया में स्थानीय प्रशासन लगातार मृतक के परिवार विशेष रूप से उनके बेटे से अंतिम संस्कार की क्रिया करने हेतु आग्रह करता रहा , परंतु अंतिम संस्कार की क्रिया को बेटा एवं परिवार ने केवल इसलिए नहीं किया कि कहीं वह और उसका परिवार संक्रमित ना हो जाए ।


क्या यही कलयुग है ? 


लगभग 1 घंटे तक घटनास्थल पर स्थानीय प्रशासन निवेदन करता रहा परंतु जब परिवार तैयार नहीं हुआ तो स्थानीय प्रशासन के प्रमुख तहसीलदार द्वारा ही अंतिम संस्कार किया गया , बेटा 50 मीटर दूर से अपने पिता के शरीर को जलते हुए देखता रहा, परिवार भी दूर खड़ा रहा , और इसी अंतिम संस्कार में मानवीय रिश्ते, पारिवारिक भावनाएं सब कुछ जलकर राख हो गई। स्वार्थ,  भावना , परिवार जिंदगी भर अपने परिवार को सहेज कर रखने की कल्पना उसी चिता में जल गई , जहां उस पिता को तहसीलदार ने अंतिम संस्कार की क्रिया से संपन्न किया और बेटा दूर खड़ा रहा । शायद यही कलयुग है । 


बैरागढ़ तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल ने किया अंतिम संस्कार ।


अफसर समझाते रहे कि जो लोग इलाज कर रहे हैं, मौत के बाद शव को मर्च्यूरी में रख रहे हैं, वे सब भी इंसान ही हैं। बावजूद इसके बेटा पिता को मुखाग्नि देने का फर्ज अदा करने को तैयार नहीं हुआ। लिखकर दे दिया कि पीपीई किट पहनते-उतारते नहीं आती है। पति को खो चुकी मां ने भी बेटे की परवाह करते हुए अफसरों से कह दिया कि आपको सब आता है, आप ही हमारे बेटे हो। हारकर बैरागढ़ तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल ने अंतिम संस्कार किया।परिवार 50 मीटर दूर से ही चिता से उठतीं लपटों को देखता रहा। कोरोना के कारण रिश्तों में सोशल डिस्टेंसिंग की यह कहानी शुजालपुर निवासी एक व्यक्ति की है। 8 अप्रैल को उन्हें पैरालिसिस का अटैक आया तो पुराने शहर के मल्टीकेयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टर्स ने उनके बेटे को पिता का कोराना टेस्ट कराने की सलाह दी। 10 अप्रैल को जांच के लिए उनके सुआब का सैम्पल लिया गया। 14 अप्रैल को रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्हें भोपाल के चिरायु अस्पताल में एडमिट कर दिया गया। यहां इलाज के दौरान सोमवार देर रात उनकी मौत हो गई।