20 वर्ष पूर्व उनके साथ पालपुर कूनो के जंगलों में संस्मरण याद है
हजारीलाल रघुवंशी , एक ऐसा नाम एक ऐसी शख्सियत जिसको मध्य प्रदेश की राजनीति में उसी तरह याद रखा जाएगा जिस तरह सहकारिता जगत के मध्य प्रदेश के कांग्रेसी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुभाष यादव जी को याद रखा जाता है , अपने आप में हजारीलाल रघुवंशी जी का नाम जिस तरह व्यक्तिगत रूप से एक पहलवान जी एवं सरल सहज किसान नेता होने के साथ-साथ अपराजित योद्धा के रूप में लिया जाता था, उसी क्रम में उन्हें मैंने काफी नजदीक से प्रकृति प्रेमी के रूप में भी देखा .
लगभग 20 वर्ष पूर्व जब कांग्रेस की सरकार थी और प्रदेश में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी थे उस दौरान हजारीलाल रघुवंशी जी वन मंत्री के रूप में मध्य प्रदेश शासन के कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे, पालपुर कूनो सेंचुरी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफेद शेर के मामले में ख्याति प्राप्त कर चुकी है, मैं उस दिन रात्रि को पालपुर कूनो सेंचुरी के अंदर स्थित वन विभाग के रेस्ट हाउस में अपने मित्र के साथ रुका हुआ था, तभी जानकारी प्राप्त हुई कि मध्य प्रदेश शासन के वन मंत्री भी पालपुर कूनो सेंचुरी की ओर निकले हैं संभवत रात्रि विश्राम वह भी रेस्ट हाउस में ही करेंगे,
ऐसी स्थिति में वन विभाग के अधिकारी परेशान हो गए कि एक पत्रकार को मना किस तरह की जाए, संकोच करते हुए तत्कालीन डिप्टी रेंजर ने कहा कि माननीय वन मंत्री जी आज रात्रि विश्राम ही करेंगे, आदरणीय मैं आपसे इससे आगे क्या कहूं ?
, मैं भी डिप्टी रेंजर साहब की मजबूरी को समझ गया, और हमने तय किया कि उनसे मिलने के बाद वापस निकल जाएंगे, परंतु जैसे ही बन मंत्री जी आए और उनसे मुलाकात हुई तो मुलाकात का अवसर एक लंबी चर्चा में बदल गया,
20 से 25 वर्ष के अंतराल में बीता लगभग 2 घंटे से अधिक का समय पता ही नहीं पड़ा बातों ही बातों में कब बीत गया, वास्तविक रूप से इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि इंसान के व्यक्तित्व को हमेशा याद रखा जाता है आज जबकि हजारीलाल रघुवंशी जी हमारे बीच में नहीं रहे तो उनका वह संस्मरण मुझे आज भी याद है,
उन्होंने अपनी चर्चा में मुझसे कहा था कि पालपुर कूनो सेंचुरी जितना बड़ा प्रोजेक्ट है और जो महत्वाकांक्षा पर्यटकों की इस प्रोजेक्ट से जुड़ी हुई है मुझे नहीं लगता कि यह प्रोजेक्ट अपने भविष्य को प्राप्त कर सकेगा, पहलवान जी के नाम से अपने आप को संबोधित करने में आनंद प्राप्त करने वाले हजारीलाल रघुवंशी ने उसी समय इशारा कर दिया था कि हजारों करोड रुपए इस प्रोजेक्ट में लगने के बाद भी शायद ही सफेद शेर पालपुर कूनो सेंचुरी में आ सकें,
आज 25 वर्ष बाद उनकी यह बात मुझे याद आती है, हालांकि प्रकृति से जुड़ी हुई उन्होंने काफी गंभीर एवं ज्ञानवर्धक चर्चाएं उस मुलाकात में कही थी परंतु मुख्य बाद जो सामने निकल कर आई वह यही थी कि आज भी पालपुर कूनो सेंचुरी में सफेद शेर 25 वर्ष बाद भी नहीं पहुंच पाए,
हजारीलाल रघुवंशी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के रूप में भी मुझे याद रहेंगे क्योंकि उनसे मेरा मिलना जुलना काफी करीबी रहा, उनका जीवन बेहद सरल किसानी एवं पहलवानी के साथ-साथ ग्रामीण परिवेश की अंतर छाप से जुड़ा हुआ एकदम खाकी हुआ करता था, मध्य प्रदेश सरकार के वर्तमान एवं पूर्व कई मंत्री उन्हें दादा भाई कह के बुलाया करते थे ,
आज दोपहर को जैसे ही उनकी मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई मुझे लगभग 25 वर्ष पूर्व उनके वन मंत्री रहते हुए पालपुर कूनो रेस्ट हाउस पर बिताए हुए 2 घंटे का समय एवं उनके साथ बिताए हुए महत्वपूर्ण क्षण याद आ गए
हजारीलाल इसलिए अजेय हैं,
क्योंकि वे 1977 की जनता लहर के बाद से कभी नहीं हारे हैं। इसी तरह सरताजसिंह होशंगाबाद की लोकसभा सीट के अजेय योद्धा हैं। दोनों नेताओं के लंबे संसदीय कार्यकाल के बीच चुनाव नहीं लड़ने के मौके जरूर आए हैं। अब तक हजारीलाल रघुवंशी विधानसभा चुनाव आसानी से जीतते आए हैं तो लोकसभा में सरताजसिंह सिवनी मालवा विधानसभा सीट से आरामदायक बढ़त हासिल करते रहे हैं। ।
विधानसभा उपाध्यक्ष हजारीलाल रघुवंशी का गुरुवार को निधन हो गया। वे राजधानी भोपाल के नेशनल अस्पताल में भर्ती थे। शुक्रवार को सिवनी मालवा के आंवलीघाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
बता दें कि हजारीलाल रघुवंशी का जन्म पांच जुलाई 1930 को होशंगाबाद जिले में हुआ था। सन 1977-80 तक वे मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य बनें। साल 1980 में रघुवंशी विधायक चुने गए और फिर राज्यमंत्री बनें।