मिनी मंत्रिमंडल को लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व की असहमति ।


दिल्ली कार्यालय ,


प्रदेश के मुख्यमंत्री को शपथ लिए हुए 1 माह से अधिक हो चुका है ,परंतु मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल की शपथ नहीं हो पाई, जिसका मुख्य कारण कोरोनावायरस संक्रमण रहा, इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पिछले 1 माह के अंतराल में अकेले ही बिना किसी मंत्रिमंडल के मैदानी इलाकों से लेकर प्रशासनिक स्तर पर मोर्चा संभाले रखा । इस दौरान लगातार मंत्रिमंडल गठन को लेकर सवाल खड़े होते रहे, एक तरफ जहां पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े किए वहीं दूसरी और विपक्ष के कई नेताओं सहित सिंधिया समर्थक नेता भी अपने स्तर पर दबाव बनाने की कोशिश करते रहे,


दबाव की इस राजनीति के चलते दो दिवस पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगभग  कर लिया था कि कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान अर्थात लगभग 1 माह के अंतराल में एक मिनी मंत्रिमंडल का गठन किया जाए, परंतु भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस मांग को फ़िलहाल स्वीकार नहीं किया है, 


राष्ट्रीय नेतृत्व ने असहमति के संकेत दिए ।


प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई जाने के मामले में जिस मिनी कैबिनेट अर्थात 10 से 12 मंत्रियों को शपथ दिलाने की तैयारी की चर्चा जोरों पर थी, अब इस मामले में फिलहाल विराम लगने की संभावना बताई जा रही है, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय एवं राष्ट्रीय पदाधिकारियों से प्राप्त संकेतों एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित अनुषांगिक संगठनों की मानें तो इस तरह का मंत्रिमंडल गठन विपरीत परिस्थितियों में उचित नहीं होगा , वहीं दूसरी ओर जिस तरह से सरकार मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी द्वारा बनाई गई है, उस पर भी अन्य दावेदारों जिन्हें संभवत दूसरी पारी में मंत्री बनाया जाएगा उनके समक्ष अब अ श्वसनीयता की स्थिति सामने आएंगी ।पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी इस मामले में अब चिंतन कर रहे हैं कि इस मामले में मिनी मंत्रिमंडल शपथ ग्रहण को स्वीकृति दी जाए अथवा नहीं।


मुख्यमंत्री का विशेष अधिकार , परिस्थितियां विपरीत।


यह बात अपने आप में स्पष्ट है कि प्रदेश के सबसे अनुभवी मुख्यमंत्रियों में शिवराज सिंह चौहान का नाम लिया जाता है ,परंतु इस समय परिस्थितियां शपथ ग्रहण के साथ ही एक तरफ जहां कोरोनावायरस संक्रमण से जुड़ी हुई है वहीं दूसरी ओर वर्तमान सरकार कांग्रेश के बागियों से जुड़ी हुई सरकार कहीं जाती है, इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि यह ग्रहण जब तक सरकार चलेगी तब तक लगा ही रहेगा।ऐसी स्थिति में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मिनी कैबिनेट का गठन करना विशेषाधिकार होने के बाद भी आक्रोष की स्थितियों से होकर गुजर सकता है, क्योंकि प्रथम केबिनेट में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को मौका दिया जाएगा और भाजपा के ही नेताओं को सभी मलाईदार विभागों से नवाजा जाने की स्थिति में दूसरे कैबिनेट गठन के दौरान विपरीत परिस्थिति का सामना करना पड़ सकता है ।


मिनी कैबिनेट के दावेदार ।


पिछले 24 घंटे के अंतराल में प्रदेश में जिस मिनी कैबिनेट के गठन की बात की जा रही है, उसमें लगभग मंत्रियों की संख्या 10 से 12 के बीच बताई जाती है, जिसमें सिंधिया समर्थक अथवा कांग्रेश जुड़े हुए वरिष्ठ तीन नेताओं को मौका दिया जा सकता है, इस मिनी कैबिनेट में भी भाजपा समर्थक एवं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को ही भारी भरकम विभाग मिलना लगभग तय माना जा रहा है , यह भी सच्चाई है कि सभी बड़े विभाग मिनी कैबिनेट में ही भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के पास पहुंचने की स्थितियां स्पष्ट है, इस स्थिति में दूसरी कैबिनेट जब बनाई जाएगी तब तक आक्रोश अथवा बड़े विभागों का विभाजन एकतरफा हो चुका होगा , कुल मिलाकर मंत्रिमंडल का गठन शिवराज के लिए बेहद कठिन एवं रणनीति का सफलतम हिस्सा ना हो कर चुनौतीपूर्ण होगा ।बताया जा रहा है कि कोविड-19 के बीच कुछ गतिविधियां समानांतर रूप से शुरू हो गई हैं, मसलन गेहूं की खरीदी आदि। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, कृषि एवं सहकारिता, पंचायत के साथ वित्त व वाणिज्यिक कर विभाग में गतिविधियां बढ़ गई हैं। इसी को देखते हुए मंत्रिमंडल में सीनियर मंत्री रहेंगे, जिन्हें पूर्व का अनुभव है। इसी के मद्देनजर छोटा मंत्रिमंडल बनाए जाने पर सहमति बन रही है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे से पूर्व मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को शामिल किया जा सकता है।


दूसरी तरफ भाजपा के सीनियर नेताओं में गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, रामपाल सिंह, विजय शाह, गौरीशंकर बिसेन और मीना सिंह के नाम की चर्चा है। इसके अलावा कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए वरिष्ठ नेता बिसाहूलाल काे भी मौका मिल सकता है। छोटे मंत्रिमंडल में दलित कोटे से तुलसी सिलावट होंगे तो आदिवासी कोटे से बिसाहूलाल, मीना सिंह और विजय शाह को मौका मिलेगा।