उफ़्फ़... मुझे अब जाकर यह एहसास कराया गया कि मैं मुसलमान हूँ। इसके पहले बहुत सारे लोग मुझे हिंदू समझते थे, बहुत सारे मुझे जैन समझते थे और बहुत सारे मुझे ग़ैर मुस्लिम समझते थे। मेरी शक्ल-सूरत, हावभाव और बातचीत का लहजा और व्यवहार-आचरण बिलकुल सामान्य भारतीय सा था। मेरा नाम जानने के बाद लोगों को मालूम होता था कि मैं मुस्लिम हूँ। वो आश्चर्य करते थे कि आप मुस्लिम हैं पर आपको देखकर लगता तो नहीं....
लेकिन फ़ेसबुक की वजह से सबको मालूम हो गया कि मैं मुस्लिम हूँ, क्योंकि मैंने ओरिजनल आईडी बनाई है, फ़ेक नहीं। सोशल मीडिया के दुनिया में मेरे बहुत सारे फ़्रेंड हैं जो मुझे बहुत पसंद करते हैं। इनमें से कई मुझे व्यक्तिगत जानते हैं और कई फ़ेसबुक के ज़रिए। अब तक फ़ेसबुक पर मैंने जो भी टूटा-फूटा लिखा, अधिकांश ने पसंद किया, जिन्हें पसंद नहीं आया उन्होंने विरोध/आपत्ति जताई मगर संयमित भाषा में।
लेकिन कोरोना वायरस महामारी के दौरान तबलीग मरकज़ निज़ामुद्दीन (दिल्ली) में सैकड़ों की तादाद में मिले कोरोना इंफ़ेक्टेड धर्मांध और फिर देश के विभिन्न शहरों में जाकर अपनों के बीच कोरोना नामक ख़तरनाक वायरस फैलाने की वजह से मैं ही नहीं पूरी मुस्लिम क़ौम संदेह के दायरे में आ गई। कई लोग मुझे व्यक्तिगत फ़ोन करके कई तरह के सवाल करते हैं। सवाल इतने तीखे होते हैं कि मैं निरुत्तर हो जाता हूँ, मगर वो मुझे व्यक्तिगत जानते हैं सो अपशब्द या अनर्गल बातें ज़्यादा नहीं करते। मगर सोशल मीडिया पर तो मानों तबलीग मरकज़ की वजह से मुसलमानों पर नफ़रत की बरसात बरस पड़ी है। ऐसे-ऐसे शब्द, वाक्य और कमेंट्स कभी सुना-पढ़ा नहीं। ग़ैर मुस्लिम का यह ग़ुस्सा ज़ायज है क्योंकि कोरोना वायरस के आँकड़े बता रहे हैं कि देश में तीस फ़ीसदी कोरोना के मरीज़ जमाती हैं। इंदौर, ग़ाज़ियाबाद, यूपी और बिहार की कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं मुस्लिम क़ौम के कुछ लोगों ने जाँच न करवाने को लेकर उपद्रव किया है।
तबलीग मरकज़ और इन उपद्रवों के कारण हिंदुस्तान की पूरी मुस्लिम क़ौम बेवजह नफ़रत की शिकार बनती जा रही है। एक तरह से मुस्लिम बायकॉट की कार्ययोजना को बढ़ाया जा रहा है। ग़ैर मुस्लिम का यह ग़ुस्सा जायज़ है क्योंकि मुस्लिम क़ौम पर अति कट्टर होने का ठप्पा लगा हुआ है। इस ठप्पे को मज़बूत करने कई तरह के पुराने बयान और विडियो ज़ाहिर किए जा रहे हैं।
यह सब क्यों हो रहा है इसका चिंतन-मनन का वक़्त आ गया है। मुसलमानों को अब इस पर संजीदगी से सोचना होगा। कोई सरकार या कोई सियासी दल आपकी समझ और व्यक्तित्व को बदल नहीं सकती। बदलना आपको होगा, वो भी इल्म से और ख़ुद की समझ से।
ए मुसलमानों अगर आप सच्चे मुसलमान हो तो अल्लाह की बात मानों, इल्म हासिल करो, अपनी समझ को क़ाबिल बनाओ। नबी के पैग़ाम को मानों, जिसमें आपने इंसानियत और इंसानों की अहमियत समझाई है। तुम किसी आलिम के पीछे मत भागो। तुम फ़िरक़ों में बँटकर अपनों से दुश्मनी मत रखो। सब इंसान अल्लाह के बनाए हैं। सबसे इज़्ज़त और रहमदिली से पेश आओ।
क़ुरान मजीद और हदीसों को ख़ुद पढ़िए (अब तो कई भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध है) और ख़ुद समझिए कि अल्लाह और उसके पैग़म्बर का क्या हुक्म है। उसके मुताबिक़ अमल करिए। फ़िरक़ों के सरमायादारों के पीछे मत भागिए। ये सब अपने फ़वाद के लिए आपस में लड़वाते रहेंगे। फ़िरक़ों के आलिम नहीं चाहते कि आप अपने इल्म और हिकमत से दीन और दुनिया की ख़िदमत करें। अल्लाह ने आपको मुकम्मल अक़्ल और हिकमत नवाज़ा है सिर्फ़ और सिर्फ़ इसका इस्तेमाल करें। ख़ुद पढ़ें, समझें और अमल में लाएँ। आपके सामने पूर्व राष्ट्रपति एपी अब्दुल कलाम साहब की ताज़ी मिसाल है। विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक होने के बाद भी वो बहुत दीनदार थे। इंसानियत और ईमानदारी की बेताज मिसाल थे। कलाम साहब के पदचिन्हों पर चलना आज की महत्ती ज़रूरत है।
अब रही बात तबलीग मरकज़ की तो मरकज़ के प्रमुख मौलाना साद बहुत बड़ी चूक कर बैठे। बतौर आलिम उन्हें पता ही होगा कि चीन के वुहान से निकला कोरोना वायरस का जिन्न इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे कई देशों तक फैल चुका है। उन्हें वहाँ के लोगों को आने की इजाज़त नहीं देनी चाहिए थी। सरकार और पुलिस की एडवायज़री पर वक़्त रहते मानना चाहिए। मरकज़ की इस चूक से न केवल देश भर में जमातियों के जरियर वायरस फैला अपितु पूरी मुस्लिम क़ौम निशाने पर आ गई। मुल्क के माहौल के मद्देनज़र मौलाना साद को सामने आना चाहिए और मुल्क की अवाम से अपनी चूक पर खेद व्यक्त करना चाहिए। साथ ही अपील करना चाहिए कि जो जमाती फ़रवरी-मार्च के महीने में मरकज़ आए थे वो ख़ुद बाहर निकलकर अपनी जाँच करवायें और अपनी सम्पर्क हिस्ट्री स्थानीय प्रशासन को बताएँ। वहीं मुस्लिम क़ौम भी ऐसे लोगों की जानकारी स्थानीय स्तर पर प्रशासन को दें। दूसरे भीड़ से और झुंड में इकट्ठा होने से बचें। साथ ही दीगर क़ौम के साथ काँधे से कांधा मिलाकर कोरोना वायरस जैसे घातक बीमारी से लड़ने सहयोग करें।
जय हिन्द
ज़हीर अंसारी