प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव पर कसता शिकंजा । अफसर सरकार के या नेताओं की बपौती । राजनीति घेराबंदी ।

   



संपादक -- प्रमोद दुबे । 


                           मोबाइल खरीदी के बाद भ्रष्टाचार के कई मामलों में उलझाने की कोशिश । 


                                     अफसरों का भविष्य इस तरह बर्बाद ना करें नेतागण ।


भोपाल । मध्यप्रदेश में 1 महीने के अंतराल में वही सूरत प्रशासनिक क्रियाकलापों को लेकर दिखाई दे रही है ,जो कांग्रेश के 1 वर्षों से अधिक के कार्यकाल में स्थानांतरण को लेकर अविश्वास की स्थिति में दिखाई देती थी । नेताओं की मानसिकता क्या है ? समझना बहुत ही मुश्किल है । परंतु इतना साफ है कि वर्तमान माहौल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से अथवा कांग्रेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से जुड़े हुए उनके खास रहे अफसरों पर अब शिकंजा कसना शुरू हो गया है । इसका प्रमुख सचिव स्तर पर पहला शिकार मनु श्रीवास्तव होने जा रहे हैं । मनु श्रीवास्तव कांग्रेसी सरकार में महत्वपूर्ण विभाग वाणिज्य कर के प्रमुख सचिव रहे हैं , जिन्हें सरकार जाने के 2 महीने पूर्व उपरोक्त विभाग से हटाकर उद्योग विभाग में पदस्थ कर दिया गया था , वही उनकी पत्नी प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव  कमलनाथ  मुख्यमंत्री के रहते हुए  उनके ही  सचिवालय में  विशेष कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में पदस्थ  रही ,मनु श्रीवास्तव का जब स्थानांतरण हो गया तो स्थान दिल्ली से आए एसीएस स्तर के अधिकारी केसरी को दिया गया ।


मोबाइल खरीदी घोटाला।आरोपी बना डाला ।


मध्यप्रदेश में जैसे ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई सबसे पहले प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी मनु श्रीवास्तव के विरुद्ध सुनियोजित तरीके से मोबाइल खरीदी घोटाला , जो अभी तक हुआ ही नहीं,  और आदेश भी रद्द किए जा चुके हैं । संबंधित मामले में उन पर दिन-प्रतिदिन आरोप लगते जा रहे हैं । जानकारी के अनुसार आंगनवाड़ी के कर्मचारियों को अन्य प्रदेशों की भांति मोबाइल खरीद कर उन्हें शासन द्वारा दिए जाना था , मोबाइल खरीदी का ऑर्डर के संबंध में जैसे ही विभाग में मनु श्रीवास्तव प्रमुख सचिव बनकर पहुंचे उन्होंने पूर्व से तैयार की हुई फाइल पर हस्ताक्षर कर फाइल को लघु उद्योग निगम के अधिकारियों की ओर रवाना कर दिया । जानकारी के अनुसार इस फाइल पर पूर्व मंत्री से लेकर सभी अधिकारियों के हस्ताक्षर थे एवं फाइल लगभग 3 महीने से लंबित पड़ी हुई थी । जैसे ही मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी वैसे ही इस मामले ने फाइल हस्ताक्षर होने के साथ ही तूफान खड़ा कर दिया । आरोप लगाने वाले प्रशासनिक सूत्रों ने ही प्रमुख सचिव श्रीवास्तव सहित एल यू एन सहित ,मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन तत्कालीन एसआर मोहंती , मंत्री विजयलक्ष्मी साधो सहित अन्य अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया गया । प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी सहित मुख्य सचिव एवं कैबिनेट मंत्री आदि को इस तरह दोषी करार दिया गया ,जैसे कि उन्होंने हत्या का कार्य कर दिया हो । जबकि उपरोक्त फाइल को मामला गंभीर होते हुए देख तुरंत प्रभाव से प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव ने निरस्त कर दी । अर्थात खरीदी से जुड़ी हुई फाइल निरस्त हुई तो मामला भी समाप्त । 


मंत्रालय में अफसर ही अफसर के दुश्मन बने ।


प्रदेश के मंत्रालय में एक तरफ जहां राजनीतिक स्तर पर कोई अधिकारी भाजपा से जुड़ा है तो कोई कांग्रेसका विशेष एवं खास रहा , परंतु सबसे बड़ा आश्चर्य का विषय यह है कि मंत्रालय में अधिकारी ही अधिकारी का दुश्मन बना हुआ है । जब तक यही स्थितियां रहेंगी तब तक निश्चित रूप से राजनीतिक दल इन अफसरों को उसी तरह उपयोग करेंगे जिस तरह पूर्व में जल संसाधन विभाग के लंबे समय तक प्रमुख सचिव रहे , अरविंद जोशी, टीनू जोशी का हाल हुआ । दोनों अफसरों का परिवार तबाह हो गया । कैंसर से लेकर जेल तक में लंबा समय गुजारना पड़ा । परंतु तत्कालीन कैबिनेट मंत्री अनूप मिश्रा का कुछ नहीं बिगड़ा , राजनीति क्षेत्र में यही होता है । प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव के मामले में भी ऐसा ही कुछ दिखाई दिया, उन्हें उन्हीं के समकक्ष एवं वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कुछ इस तरह उलझाने का कार्यक्रम तैयार किया गया कि भाजपा की सरकार आते ही आरोपित की श्रंखला में खड़े होकर आज अपराधी बन चुके हैं । 


महेंद्र हार्डिया ने की मुख्यमंत्री से शिकायत ।


मंगलवार को भाजपा विधायक महेंद्र हार्डिया ने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखित में शिकायत की। उन्होंने बताया कि महिला बाल विकास विभाग और एलयूएन अफसरों ने एक ही कंपनी के मोबाइल फोन मॉडल को 4 राज्यों से भी ज्यादा कीमत पर खरीदकर राज्य शासन को 10 करोड़ के राजस्व का आर्थिक नुकसान पहुंचाने का फैसला लिया था। इस मामले में पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहंती और एलयूएन एमडी मनु श्रीवास्तव की भूमिका की जांच कराई जाए। जो भी दोषी हो, उनके खिलाफ कार्रवाई हो। हार्डिया ने तत्कालीन मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ पर भी आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई को देखकर उन्होंने बैक डेट में फाइल को मंजूरी दे दी। हार्डिया ने तीन पन्नों की शिकायत में खरीदी ऑर्डर का पूरा लेखा-जोखा लिखा।


भ्रष्टाचार और रिश्वत के मामले में भी उलझाने की कोशिश ।


 समाचार पत्र के प्रशासनिक सूत्रों को जो जानकारी प्राप्त हुई है ,उसके अनुसार प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव को आने वाले समय में रिश्वत एवं भ्रष्टाचार से जुड़े हुए कुछ अन्य मामलों में भी उलझाने की कोशिश की जाएगी , इस मामले में खुलासा आने वाले समय में समाचार पत्र द्वारा किया जाएगा । कुल मिलाकर राजनीतिक षड्यंत्र से लेकर प्रशासनिक षड्यंत्र  की  इस लंबी बिछाते  में प्रमुख सचिव  श्रीवास्तव से करीबी रूप से जुड़े हुए कई लोगों का नाम सामने आ रहा है । आने वाला समय प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव के लिए और भी अधिक कठिनाई भरा और संघर्षों से जुड़ा हुआ हो सकता है ।