शराब तस्करी के अजब - गजब तरीकों से पुलिस परेशान । प्रदेश भर में जमकर हुई लॉक डाउन के दौरान तस्करी ।

मध्यप्रदेश में शराब तस्करी हालांकि कोई नई बात नहीं है, साल भर का शराब तस्करी से जुड़ा हुआ प्रतिशत देखा जाए तो राजस्व प्रदेश सरकार को जितना प्राप्त होता है ,उससे कहीं अधिक की शराब तस्करी मध्यप्रदेश में प्रतिवर्ष की जाती है । वास्तविकता यही है कि मध्य प्रदेश से शराब तस्करी केवल मध्य प्रदेश के शहरी अथवा ग्रामीण क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है बरन मध्य प्रदेश से शराब की तस्करी अंतर राज्य स्तर पर गुजरात राजस्थान एवं महाराष्ट्र तक जुड़ी हुई है।


शराब तस्करी का तरीका एवं अंदाज


फिलहाल लोक डाउन के दौरान मध्यप्रदेश में हुई शराब तस्करी विशेष रुप से कच्ची शराब तस्करी से जुड़ा हुआ मामले प्रदेश भर में एक साथ लगभग 60% तक बढ़ गए हैं , एक तरफ जहां नगरीय क्षेत्रों में लॉक डाउन के दौरान शराब तस्करी अंग्रेजी शराब के मामले में 15 से 20% के बीच हुई वहीं दूसरी और देसी शराब तस्करी के मामले में अपना पिछला 15 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया । लॉक डाउन के दौरान शराब तस्करी के अजीबोगरीब केस प्रदेश भर में दिखाई दिए,  तस्करों ने भी लॉक डाउन का भरपूर फायदा उठाया और जमकर कमाई की परंतु उन्होंने अपनी शराब तस्करी का तरीका एवं अंदाज बदल दिया ।


नगर निगम की कचरा गाड़ियों में शराब तस्करी ।


मध्य प्रदेश के ग्रामीण अथवा नगरी क्षेत्रों को छोड़ दें शराब तस्करी की हालत यह है प्रदेश की राजधानी भोपाल में ही लोग डाउन के दौरान जमकर शराब की तस्करी हुई , आज दोपहर को ही शराब तस्करी का एक नया तरीका जो लगभग 1 माह से लगातार अनवरत जारी था, पुलिस की सक्रियता के चलते सामने आया ।


नगर निगम भोपाल मैं नियमित रूप से सफाई कर्मी के रूप में काम करने वाले कचरा वाहन में कचरा ढूंढने की जिम्मेदारी उठाने वाले तीन आरोपियों को आज पुलिस ने मुखबिर से सूचना प्राप्त होने के बाद कचरा वाहन के साथ गिरफ्तार किया । कचरा बा हमसे 81 लीटर अवैध कच्ची देसी शराब जप्त की गई।  जानकारी के अनुसार उत्तर नगर निगम के कर्मचारी साइना शाहजहानाबाद क्षेत्र के रहने वाले हैं जिनका नाम सोन जटालिया सहित शंकर एवं बंटी पटोलिया बताया गया है । पुलिस ने कचरा वाहन के साथ-साथ 546 पाउच अवैध कच्ची देसी शराब जप्त कर मुकदमा कायम कर लिया है । अब सोचने वाली बात यह है कि जब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सरेआम कचरा वाहन जैसी गाड़ी से नगर निगम के स्थाई कर्मचारी सार्वजनिक रूप से लॉक डाउन के 1 महीने तक शराब की तस्करी करते रहे , और विभाग द्वारा किसी भी तरह से उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, वहीं दूसरी और अन्य जिले एवं तहसील सहित ग्रामीण स्तर पर क्या स्थिति रही होंगी ? इसकी कल्पना की जा सकती है । 


सैनिटाइजर की बोतलों में शराब की तस्करी ।


प्रदेश की राजधानी भोपाल में ही शराब की तस्करी से जुड़े हुए अजीबोगरीब मामले जिनके बारे में आम आदमी सोच भी नहीं सकता ,लगातार सामने आते रहे। परंतु आश्चर्यजनक बात यह है कि लोक डाउन के दौरान किसी भी प्रकार की प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रदेश की राजधानी भोपाल में पदस्थ उपायुक्त संजीव दुबे द्वारा नहीं की गई , उपरोक्त विषय में शराब तस्करी से जुड़े हुए मामलों के अंतर्गत सभी कार्रवाई स्थानीय पुलिस द्वारा ही की गई । विगत दिनों सैनिटाइजर की बोतलों में देसी शराब को भरकर उसकी सप्लाई भोपाल के कई ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में तस्करी की जाने का मामला सामने आया था । जब तक है मामला सामने आया तब तक लाखों रुपए की अवैध शराब सैनिटाइजर की बोतलों में सप्लाई करने का कारोबार तस्करों द्वारा करोड़ों रुपए तक पहुंच गया था। परंतु मध्य प्रदेश आबकारी विभाग के किसी भी अधिकारी ने इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की ।


दूध की केन , अखबार के बंडलों में शराब ।


प्रदेश की राजधानी भोपाल में शराब तस्करी का लॉक डाउन के दौरान नए-नए तरीके सामने आना स्थानीय जिला प्रशासन एवं पुलिस को भी हैरान कर गया, विगत दिनों एमपी नगर एवं साजन आबाद सहित अन्य घनी बस्तियों में दूध की केन के अंदर देसी शराब के पाउच प्राप्त हुए वहीं दूसरी ओर अखबार के मंडलों में भी शराब की बोतलें सप्लाई करते हुए कुछ होकर पुलिस की गिरफ्त में आए । 


 5 लाख की अवैध शराब ग्वालियर में जप्त 


स्थानीय पुलिस प्रशासन एवं आबकारी विभाग की टीम के साथ जब मोहनपुर कंजर बस्ती में अवैध शराब पकड़ने की कोशिश की गई तो वहां मौके पर कच्ची शराब बनती हुई पाई गई , आबकारी विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार कई ड्रम एवं प्रयोग किए जाने वाले अन्य रासायनिक पदार्थों के साथ-साथ लगभग बाजार कीमत से ₹5 लाख की यह जप्त अवैध शराब बताई जाती है । देर शाम तक यह कार्रवाई जारी रही ,एवं विभाग द्वारा स्थानीय जिला प्रशासन को इस कार्रवाई के विषय में सूचित कर दिया गया । इस कार्रवाई में आबकारी विभाग की विशेष टीम अंतर्गत सुरेंद्र सिंह राठोर , हेमंत भारद्वाज  के साथ-साथ संपूर्ण विभाग का योगदान रहा । 


कुल मिलाकर कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान एक तरफ जहां प्रदेश सरकार एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री जनता के लिए कृतज्ञ ,संकल्पित नजर आए वहीं दूसरी और मध्यप्रदेश शासन का आबकारी विभाग भोपाल के अंदर ही शराब की तस्करी में सरेआम शामिल एवं बिका हुआ नजर आया । निश्चित रूप से आबकारी महकमे में प्रदेश स्तर पर आने वाले समय में बड़े फेरबदल की आवश्यकता है ।