विक्रम बेताल के हिट होने से शुरू हुई रामायण


पैसे की कमी, फाइनेंसर जुड़ते गए


 


मुंबई. कोरोना वायरस के चलते चल रहे लॉकडाउन पीरियड में अपने दर्शकों के मनोरंजन का खास खयाल रखते हुए और सोशल मीडिया पर भारी डिमांड को देखते हुए दूरदर्शन पर 'रामायण'को री-टेलीकास्ट किया जा रहा है. इस दौर में भी 'रामायण' का जबरदस्त क्रेज देखने को मिला. 90s के इस सुपरहिट टीवी सीरीयल की टीआरपी एक बार फिर से आज के दौर में भी रिकॉर्डतोड़ चल रही है. वहीं इस बीच 'रामायण' की मेकिंग से जुड़े कई पुराने किस्से भी चर्चा में आ गए हैं. ऐसे ही किस्सों में से एक है कि रामानंद सागर की 'रामायण' आखिर बनी कैसे थी. एक समय ऐसा भी था जब इस सीरीज को फंड करने के लिए कोई तैयार नहीं था.

जिस दौर में रामायण तैयार की गई, उस दौर में ऐसी सीरीज का चलन नहीं था. रामानंद सागर बड़े पर्दे पर एक कामयाब फिल्म मेकर के तौर पर पहचान बना चुके थे. अब वो भगवान राम की लीला को छोटे पर्दे पर दिखाना चाहते थे. रामानंद सागर ने जब छोटे पर्दे पर कदम रखा तो शुरुआत में उन्हें सबका विश्वास जीतने में वक्त लगा. उस दौर में जब रामानंद को 'रामायण' बनाने का खयाल आया तो फंड जुटाने में परेशानियां खड़ी हो गईं. कोई उनके इस आइडिया पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं था.

रामानंद सागर अपनी जिद के पक्के थे और तय कर चुके थे कि वो 'रामायण' बनाएंगे. उन्होंने ये भी तय कर लिया था कि वो रामायण के अलावा दुर्गा और कृष्णा नाम के तीन शोज जरूर बनाएंगे. हालांकि उन्हें समझ आ गया था कि पहले उन्हें सबका विश्वास जीतना होगा ताकि वो 'रामायण' के लिए फंड्स जुटा सकें. इसके लिए उन्होंने 1986 में विक्रम बेताल नाम का शो शुरू कर दिया. ये शो काफी हिट हुआ और फायदा ये हुआ कि इसकी वजह से सागर को रामायण के लिए फाइनेंसर्स मिलने शुरू हो गए.

इसके बाद जब 'रामायण' बनी तो ऐसी हिट हुई कि इसे देखने के लिए उस दौर में सड़कें सूनी हो जाया करती थीं. लोग बेसब्री से उस दिन का इंतजार करते थे और शो जैसे ही टेलीकास्ट होता था सभी टीवी स्क्रीन से चिपक कर बैठ जाते थे. 'रामायण' के जरिए रामानंद सागर ने ये साबित कर दिया कि वो न सिर्फ सिनेमा बल्कि छोटे पर्दे पर भी अपने आइडियाज से क्रांति ला सकते हैं.