डिप्रेशन तो बहाना है ,अपनों को बचाना है ।
भोपाल , एक तरफ जहां मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण अपने पैर फैलाता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कोरोनावायरस फाइटर जो जनता की रक्षा के लिए तैनात किए गए हैं, वरिष्ठ अधिकारियों एवं अपने अधिकारियों के दबाव एवं प्रताड़ना से इस कदर प्रताड़ित हो चुके हैं कि अंततः इस नाजुक दौर में वह आत्महत्या की स्थिति तक जा पहुंचे है ।
ऐसा ही एक मामला पुलिस विभाग में काम कर रहे एक कोरोना फाइटर अर्थात पुलिस के एक सिपाही से जुड़ा हुआ सामने आया, शहर के बीचोबीच रातीबड़ थाने में पदस्थ सिपाही चेतन ठाकुर ने खुद को गोली मार ली, गनीमत यह है कि गोली उसके कंधे पर लगी और उसका इलाज स्थानीय बंसल हॉस्पिटल में चल रहा है।
दोपहर को जैसे ही यह घटना प्रकाश में आई वैसे ही वल्लभ भवन वेबसाइट ने सबसे पहले इसे प्रकाशित किया, मामला देर शाम तक सोशल मीडिया सहित समाचार पत्रों की वेबसाइट में सुर्खियों में आ गया, प्राथमिक सूचना के अनुसार बताया गया कि ड्यूटी पर तैनात चेतन ठाकुर नामक सिपाही पिछले कई दिनों से लगातार ड्यूटी कर रहा था, पारिवारिक कारणों अथवा ड्यूटी के कारण डिप्रेशन की स्थिति में था , डिप्रेशन की स्थिति में ही उसने खुद को गोली मारने की कोशिश की । परंतु देर शाम तक जो हकीकत सामने आई है इस घटना के ठीक विरुद्ध थी, हकीकत इसके ठीक विपरीत थी ,चेतन ठाकुर सिपाही लगातार अपने ही थाना प्रभारी से प्रताड़ित था, और उसकी लगातार ड्यूटी नियम विरुद्ध तरीके से लगाई जा रही थी ।
डिप्रेशन तो बहाना, अपनों को बचाना ।
संपूर्ण मामले में जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार नीलबड़ रातीबड़ थाना क्षेत्र में पदस्थ थाना प्रभारी जी पी तिवारी मूलतः सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं, और उन्हें विगत कई दिनों से इस बड़े थाने का थाना प्रभारी बना दिया गया है, जबकि लगभग 20 गांव से घिरे इस बड़े थाने का थाना प्रभारी सीनियर निरीक्षक स्तर के अधिकारी को होना चाहिए, परंतु भोपाल में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों की चाहत इस कदर अंधी हो चुकी है कि उन्होंने जी बी त्रिपाठी जैसे भ्रष्ट एवं विवादास्पद छवि के एक सब इंस्पेक्टर को इतने बड़े थाने का प्रभारी बना दिया। बताया जाता है कि जी पी त्रिपाठी आदतन रूप से शिकायत ही हैं, एवं लगभग 5 वर्ष पूर्व उन्हें एक गंभीर मामले में लूप लाइन भी भेजा गया था, हीरोगिरी अंदाज में रहने वाले थानेदार महोदय ने अपने ही सिपाही को कुछ इस कदर प्रताड़ित किया कि उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
वहीं दूसरी ओर भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों की सेवा पानी में लगे रहने के कारण संरक्षण तो सार्वजनिक हो चुका है, कुल मिलाकर थाना प्रभारी द्वारा प्रताड़ना के शिकार होकर सिपाही चेतन ठाकुर ने आज दोपहर को आत्महत्या करने का प्रयास किया, अब भोपाल के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस मामले की लीपापोती में लग चुके हैं ।
कई थानों पर पदस्थ सब इंस्पेक्टर बने टीआई ।
प्रदेश की राजधानी में यह कैसा अजीबो-गरीब अजूबा पुलिस प्रशासनिक पदसथी का तमाशा है की भोपाल के बड़े थानों में सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को थाने का प्रभारी बनाया गया है, अर्थात उन्हें सीनियर निरीक्षक रैंक के थाना प्रभारी संबंधित थानों में कई महीनों से पदस्थ किया गया।
संभवत ऐसा मध्य प्रदेश के जिला स्तर के थानों में भी नहीं दिखाई देता, जिला ग्रामीण अथवा टप्पा स्तर के थानों में भी सीनियर टीआई रैंक के अधिकारियों को पदस्थ किया जाता है, इस मामले में जानकारी के अनुसार रातीबड़ थाने में जिस तरह जी पी त्रिपाठी जैसे सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी को पदस्थ किया गया ,उसी तरह थाना कमला नगर में भी सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी विजय सिसोदिया के साथ-साथ श्यामला हिल्स थाने में भरत सिंह को पदस्थ किया गया, जबकि यह सभी थाने सीनियर निरीक्षक रैंक के थाने हैं, जहां पर वीआईपी ड्यूटी के साथ-साथ बड़े ग्रामीण अथवा शहरी क्षेत्र जुड़े हुए हैं।
परंतु कहा जाता है कि जब वरिष्ठ अधिकारी मेहरबान तो कुछ भी हो सकता है।
किसी भी प्रवृत्ति के थाना प्रभारी किसी भी स्तर पर जाकर अपने अधीनस्थों को आत्महत्या करने में मजबूर कर सकते हैं।
बरहाल अब देखना यह है की सिपाही चेतन ठाकुर से जुड़ा हुआ यह मामला वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के चलते दवा दिया जाता है अथवा ऐसे मामले से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कुछ सीख अथवा सबक लेते हैं।
सिपाही के परिवार ने लगाए आरोप।
संपूर्ण मामले में घायल सिपाही के परिवार वालों ने थाना प्रभारी पर आरोप लगाते हुए स्पष्ट कहा है कि चेतन ठाकुर लगातार ड्यूटी कर रहे थे और ड्यूटी दूसरों की भी किया करते थे, पारिवारिक मानसिक दबाव की बात से चेतन ठाकुर के परिवार के लोगों ने मना किया, उन्होंने बताया कि वह मानसिक रूप से कई दिनों से परेशान थे जिसका कारण उनका ही पुलिस स्टाफ था।