अर्णब गोस्वामी । एफआईआर की पूछताछ , पूछताछ की पागलपंती । सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई ।


                                     कांग्रेसी बदले की ऐतिहासिक भावना ।







                                    स्वतंत्र पत्रकारिता पर सवाल दर सवाल।

                               सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद फिर एफ आई आर ।

           पूछताछ भी सवालों से परे । मामला मानहानि अथवा क्या ? पुलिस को भी समझ नहीं आ रहा ..

राष्ट्रीय स्तर के जाने-माने पत्रकार एवं रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी आज फिर से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पहुंच गए . इस तथ्य के साथ कि उन पर पूछताछ के नाम पर जबरदस्त दबाव बनाते हुए मुंबई पुलिस अनावश्यक पूछताछ का तरीका एवं अनावश्यक सवाल जवाब कर रही है , पूछताछ का समय 12 घंटे केवल और केवल कुतर्कों से भरा हुआ है .. कोई अर्थ नहीं कोई तर्क नहीं.. पुलिस को स्वयं समझ में नहीं आता कि वह किस विषय पर बात करें और कब तक बात करें .. परंतु ऊपरी दबाव इतना अधिक है कि अनावश्यक प्रताड़ित करने की मंशा है... इसलिए पागलपंती जारी है । 

 

दो मई को दर्ज की गई नई एफ़आईआर

 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ़ अर्णब गोस्वामी के ख़िलाफ़ दो मई को दर्ज की गई नई एफ़आईआर खारिज करने को लेकर दी गई याचिका पर सुनवाई की.अर्णब गोस्वामी के ख़िलाफ़ 14-15 अप्रैल को टेलीकास्ट किए गए एक प्रोग्राम के संबंध में शिकायत दर्ज कराई गई. वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अर्णब गोस्वामी का पक्ष रखा.जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ महाराष्ट्र सरकार की ओर से अर्णब गोस्वामी द्वारा कथित रूप से जांच और विवाद को रोकने के लिए किए गए प्रयासों का 'गंभीर संज्ञान' लेने के लिए दायर याचिका पर भी सुनवाई करेगी. गोस्वामी के ख़िलाफ़ दूसरों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई गई थी. उन पर इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को धमकाने का भी आरोप है.

 

पूछताछ भी सवालों से परे । मामला मानहानि अथवा क्या ?






सुप्रीम कोर्ट में हरीश साल्वे ने कहा, "इस मामले में एक नई याचिका है और एक पुरानी भी. यह मामला 16 अप्रैल को टेलीकास्ट हुए एक शो का है. याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ उनके शो को लेकर कई एफ़आईआर दर्ज हुई हैं."उन्होंने कहा कि जिस तरह पुलिस ने अर्णब से पूछताछ की है उससे स्पष्ट है कि उनके ख़िलाफ़ सोची-समझी योजना के तहत कार्रवाई की जा रही है.हरीश साल्वे ने कहा, "मीडिया की आजादी का ख्याल रखा जाना चाहिए. अगर किसी तरह का बयान दिया गया है जिससे सांप्रदायिक द्वेष हो सकता है तो क्या पुलिस और सीआरपीसी बिना किसी जांच के एक्शन ले लेगी? क्या एक न्यूज़ टेलीकास्ट किए जाने या आर्टिकल को लेकर अगर पुलिस जांच कर रही है और अगर वो सीआरपीसी के नियम लागू करे तो क्या पुलिस किसी पत्रकार को गिरफ़्तार कर सकती है और सवाल पूछ सकती है? प्रेस की आजादी पर इसका असर पड़ेगा."


यह मानहानि का मुकदमा नहीं है जहां आप हर्जाना मांग रहे हैं.


अर्णब गोस्वामी से कई घंटे तक चली पूछताछ पर सवाल उठाते हुए साल्वे ने कहा, "आप हलफनामा देखिए जो मैंने दिया है और आप एफ़आईआर की कॉपी देखिए. आप सोचिए पुलिस 12 घंटे तक पूछताछ कर रही है. इस एफ़आईआर के लिए. क्या इस एफआईआर में ऐसा कुछ है जिसके लिए मेरे क्लाइंट से पूछताछ में इतना वक़्त लगाया गया? ऐसा कुछ नहीं है."मुंबई पुलिस के रवैये पर सवाल उठाते हुए हरीश साल्वे ने पुलिस पर आरोप भी लगाए. उन्होंने सवाल किया, "पुलिस मेरे क्लाइंट की एडिटोरियल टीम और कंटेंट से जुड़ी जानकारी मांग रही थी. वो टीम के लोगों के बारे में जानकारी मांग रहे थे. किस पर कौन है इसकी जानकारी जुटा रहे थे. पैसे कहां से आए. ये कैसे सवाल हैं जो पुलिस ने पूछे हैं."हरीश साल्वे ने पुलिस पूछताछ की प्रक्रिया और रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर पुलिस ऐसे सवालों के जरिए क्या जानने की कोशिश कर रही थी. कंपनी का मालिक कौन है? यह सवाल क्यों. यह मानहानि का मुकदमा नहीं है जहां आप हर्जाना मांग रहे हैं.


अर्णब गोस्वामी पर आरोप-----


अर्णब गोस्वामी पर आरोप है कि उन्होंने अपने टीवी प्रोग्राम में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने अर्णब गोस्वामी की भाषा को लेकर सवाल उठाए हैं.अर्णब ने अपने शो कहा था, "अगर किसी मौलवी या पादरी की इस तरह से हत्या हुई होती तो क्या मीडिया, सेक्युलर गैंग और राजनीतिक दल आज शांत होते? अगर पादरियों की हत्या होती तो क्या 'इटली वाली एंटोनियो माइनो' 'इटली वाली सोनिया गांधी' आज चुप रहतीं?"अर्णब के इस बयान पर उनके ख़िलाफ़ मुंबई के अलावा भी कई जगह एफआईआर दर्ज कराई गई थीं.