भाजपा के 3 राष्ट्रीय नेताओं ने उड़ा दी नींद । भाजपा को क्या हुआ ? वजूद का संघर्ष ।

           


भोपाल । मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए बगावत उसी दिन खतरे का संकेत दी गई थी, जिस दिन भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेश से आए हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया की राष्ट्रीय सम्मान के साथ एंट्री हुई थी । बगावत के संकेत उसी दिन दिखाई दे गए थे , और मीडिया में भी सुर्खियां बन ही गई थी । परंतु उसी समय आग की चिंगारी को दबा दिया गया । आज जबकि उपचुनाव अभी दूर है , लॉक डाउन और कोरोनावायरस के बीच मानवता के कारण नेता अपने-अपने क्षेत्रों में स्पष्टीकरण देते हुए सेवा में लगे हुए हैं । 


परंतु बहुत जल्द राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के सामने भयानक संकट आने वाला है , ग्वालियर चंबल संभाग से वजूद  और आत्मसम्मान  के साथ-साथ स्वाभिमान का संघर्ष अब अंतिम निर्णय में आ चुका है । ग्वालियर चंबल से 3 राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेता अब इस स्थिति में आ चुके हैं कि वह बगावत करते हुए आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को ही नहीं वरन मौकापरस्त भाजपाइयों को पार्टी से बाहर कराने के लिए तत्पर है, एवं धोखे से बनाई हुई सरकार रहे अथवा ना रहे वह भाजपा को नहीं छोड़ेंगे , इस्तीफा नहीं देंगे परंतु संघर्ष जिस पार्टी के लिए जीवन पर्यंत किया और जीवन खपा दिया, उसे इतनी आसानी से दिशा भ्रमित नहीं होने देंगे । 


मोदी का सम्मान और करीबी है तीनों नेता ।


आने वाले समय में उप चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी को भयानक संकट खड़ा कर देने वाले ग्वालियर चंबल के तीनों नेता भारतीय जनता पार्टी के लिए ही नहीं वरन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी बेहद सम्मानीय उनका परिवार रहा है , आज भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नहीं वरन भारतीय जनता पार्टी से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस परिवार की बड़ी छवि है । भारतीय जनता पार्टी के जन्म एवं युवा अवस्था तक पहुंचाने वाले महान राष्ट्रीय नेता का परिवार हो अथवा भारतीय जनता पार्टी के दो अन्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं अनुषांगिक संगठनों से संबंध रखने वाले कद्दावर नेता । कुल मिलाकर तीनों नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी सहित राष्ट्रीय संघ सेवक संघ एवं अनुषांगिक संगठनों के लिए गहरा संकट पैदा कर दिया है ।


संघी है , अंग्रेजों के गुलाम नहीं


एक तरफ जहां और जिस जमीन पर जनसंघ से लेकर हिंदू महासभा का इतिहास रहा हो और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खून पसीने से उस धरती पर कार्यकर्ताओं का लहू भी वहां हो , उस धरती पर गुलामी अंग्रेजों की नहीं सहेंगे । इन शब्दों के साथ गुलामी के प्रति आवाज उठाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने ग्वालियर से बगावत की आवाज बुलंद कर दी है । भाजपा के तीनों राष्ट्रीय नेता अपनी रणनीति के तहत ग्वालियर चंबल संभाग में लगातार आंतरिक रूप से विरोध का बिगुल बजाए हुए हैं । वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्तर पर लगातार इस बात के संकेत प्राप्त हो रहे हैं कि आने वाले उपचुनावों के पहले कुछ भी हो सकता है ।


अल्प सत्ता प्राप्ति का निर्णय घातक हो सकता है ।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए एक प्रचारक इस गंभीर विषय पर चर्चा करते हुए कहते हैं की मध्यप्रदेश में जिस पार्टी को सरकार मिली थी उसे सरकार चलाने देना था, यह अलग बात है कि वह सरकार नहीं चला पा रहे थे । परंतु जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी की सरकार का गठन हुआ है वह भी ठीक नहीं। अल्प सत्ता प्राप्ति का यह निर्णय ग्वालियर चंबल संभाग में हमें ऐसा लगता है कहीं ना कहीं वर्षों की तपस्या को खतरे में डाल सकता है । निश्चित रूप से आने वाला समय बेहद कठिन एवं प्रदेश की राजनीतिक दशा को प्रभावित करने वाला होगा ।