तस्वीरों में स्पष्ट नजर आता है कि दोनों की तरफ से किसी भी तरह की सोशल डिस्टेंसिंग अथवा संक्रमण से बचने हेतु कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं । प्रत्यक्ष तस्वीरें
भोपाल कार्यालय । पिछले 3 महीने में कोरोनावायरस संक्रमण काल में इस महामारी ने ना तो नेता को छोड़ा ना अभिनेता को । यहां तक विश्व पटल पर कई देशों के प्रधानमंत्री भी इसकी चपेट में आ चुके हैं । भारत में भी कई नेताओं से लेकर अभिनेता तक, आम आदमी से लेकर मजदूरों तक । अर्थात हर वर्ग हर समाज हर समुदाय इससे ग्रसित एवं संक्रमित हो चुका है । इसी से बचाव का सबसे अच्छा तरीका सोशल डिस्टेंसिंग एवं मास्क सहित लोक डाउन को मूल मंत्र बताते हुए देश के प्रधानमंत्री सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार इसी मंत्र पर काम कर रहे हैं परंतु 24 घंटे पहले जो तस्वीर सामने आई उसको देखते हुए कहीं ऐसा नहीं लग रहा कि नेताओं को कोई कोरोनावायरस हो सकता है अथवा उनके कार्यकर्ताओं को हो सकता है । सांची विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेसी पार्टी छोड़कर भाजपा कार्यालय में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए लगभग 200 से अधिक कार्यकर्ता मेला हो अथवा इस मेले पर आरोप लगाने वाले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का अशोकनगर जिले के कार्यकर्ताओं से मिलना जुलना हो ।
तस्वीर बयां करती हैं ।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हों अथवा वर्तमान मुख्यमंत्री । दोनों के संबंध में जो 24 घंटे पहले तस्वीरें सामने आई हैं वह स्वता ही बताती हैं कि मध्य प्रदेश में सोशल डिस्टेंसिंग की बातें करना केवल राजनीतिक चर्चा रह गई है वास्तविक रूप से धरातल में प्रदेश के मुख्यमंत्री हो चाहे पूर्व मुख्यमंत्री दोनों ही इस बात का ध्यान नहीं रख रहा है कि हमारे द्वारा जो संदेश समाज के बीच में जा रहा है , उसी संदेश का पालन समाज के लोग कर रहे हैं । एक तस्वीर में भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में उपस्थित कार्यकर्ताओं पदाधिकारियों के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद है । वहीं दूसरी ओर इस तस्वीर पर आक्रामक होकर प्रहार करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जो स्वयं अशोकनगर जिले के कार्यकर्ताओं से मिलने के समय किसी भी तरह का सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं एवं नाही उन्होंने स्वयं मास्ट पहना हुआ है । प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान मुख्यमंत्री सहित भाजपा के पदाधिकारियों की इस तरह की तस्वीरें स्पष्ट बयां करती हैं कि हम भाषण देने में एवं संदेश देने में माहिर है । परंतु जब बात खुद पर आती है तो उसका पालन करना आवश्यक नहीं है ।
वहीं दूसरी ओर इन तस्वीरों को देखकर जनता की ओर से एक ही प्रश्न किया जा रहा है कि शायद नेताओं को को रोना हो ही नहीं सकता ।