ग्वालियर में भाजपाई बगावत । कुछ तो शर्म करो । सामने है चुनौतीपूर्ण उपचुनाव ..


भोपाल कार्यालय से ।


ग्वालियर में अनुशासनहीन भाजपाई की संगठन की अनुशासनहीनता इस कदर बढ़ती जा रही है कि अब पिछले 7 दिनों से कांग्रेश अंदर ही अंदर मजे ले रही थी , अब खुलकर भाजपाई संगठन के बगावती तेवर एवं मूर्खतापूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ जिला प्रशासन को शिकायत करती हुई नजर आ रही है । कल जब संभागीय संगठन मंत्री आशुतोष तिवारी के समक्ष विरोधी खेमे  कमल मखीजानी के समर्थक सैकड़ों की संख्या में संभागीय कार्यालय पहुंच गए तो स्थिति स्वता ही सामने आ गई । लॉक डाउन की स्थिति एवं कोरोनावायरस संक्रमण के अमानवीय चेहरों सहित इस महामारी के बीच केवल नेतागिरी ही सामने आई । अनुशासन हीन संगठन के लोगों ने कल ऐसा दृश्य सामने रखा, जिसको देखकर भाजपा से जुड़े हुए वरिष्ठ पदाधिकारी यह कहने लगे कि आखिर यह कौन सा संस्कार हैं, जो भारतीय जनता पार्टी ने इनके अंदर समाहित किए थे ? 


जमकर हुआ शक्ति प्रदर्शन, हाथ जोड़ते नजर आए संभागीय संगठन मंत्री । प्रदेश नेतृत्व खामोश ।


अनुशासन , सेवाभावी संगठन के रूप में संस्कारित कहा जाने वाला भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता ग्वालियर में कल संभागीय संगठन मंत्री के समक्ष शक्ति प्रदर्शन करता हुआ इस स्थिति में सामने आया, लगा मानो कांग्रेस का वही डूबता हुआ चेहरा हो जैसे कांग्रेश आज वर्तमान में दिखाई दे रही है । ग्वालियर जैसे शहर में जहां भारतीय जनता पार्टी का जन्म एवं उत्थान हुआ ऐसी स्थितियां सामने आएंगे, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था । संभागीय संगठन मंत्री को बगावती प्रदर्शन के दौरान ईश्वर के समान समझने वाले मूर्ख  भाजपाई कार्यकर्ताओं ने इस तरह शक्ति प्रदर्शन किया जैसे मानो बहुत कुछ खो दिया हो और बहुत कुछ पा लिया हो । कुल मिलाकर कल के हालातों को देखते हुए ऐसा दिखाई देता है कि आने वाले उपचुनावों में कांग्रेश के समक्ष कोई खास चुनौती नहीं है । परंतु दुर्भाग्य का विषय दूसरा है कि जो मूर्खतापूर्ण कार्रवाई ग्वालियर में चल रही है उसके जवाब में प्रदेश नेतृत्व पर कोई भी असर दिखाई नहीं दे रहा ,क्योंकि  7 दिनों से जो बगावती तेवर अनुशासनहीनता के साथ ग्वालियर में सामने आए थे उनकी कोई भी समझ इस कल के शक्ति प्रदर्शन में दिखाई नहीं दी।


क्या इस तरह लड़ा जाएगा उपचुनाव ?


मध्यप्रदेश में एक तरफ जहां 22 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होनी है, वहीं दूसरी और ग्वालियर चंबल संभाग में 16 सीटों के उपचुनाव होने प्रदेश नेतृत्व सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री को पिछले 7 दिनों के अंदर विशेष रूप से ग्वालियर चंबल क्षेत्र में चिंता में डाल दिया होगा । परंतु जो स्थितियां ग्वालियर में लगातार एवं अनवरत जारी है, उनको देखते हुए ऐसा लग रहा है कि प्रदेश का नेतृत्व अब प्रभावहीन होते हुए ग्वालियर की स्थितियों में पूरी तरह शांत हो चुका है । वहीं दूसरी और कांग्रेस पार्टी के लिए इससे अच्छा बेहतर मौका नहीं मिल सकता कि भारतीय जनता पार्टी ग्वालियर चंबल संभाग में पूरी तरह   हुई दिखाई दे रही है। ऐसी स्थितियों में प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर ग्वालियर चंबल संभाग में बड़े नेता के रूप में स्थापित नरेंद्र सिंह तोमर के समक्ष एक चुनौती सामने आ सकती है।  जिसका सामना करने के लिए कांग्रेस पार्टी फ़िलहाल तैयार है और भारतीय जनता पार्टी अपने आप को ही संभालने में लगी हुई है ।


एक अध्यक्ष चयन के सामने अनुशासन और संस्कार हुए विफल ।


भारतीय जनता पार्टी के प्रारंभिक काल से लेकर उत्थान के कार्यकाल तक ऐसे कम ही मौके आए हैं कि एक जिला अध्यक्ष के विषय पर भारतीय जनता पार्टी की इस कदर फजीहत हुई हो , परंतु एक अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया एवं उसमें निर्णय लेने की अंधभक्ति ने इतना साबित कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी में अब अनुशासन और संस्कार नहीं रहे। वहीं दूसरी स्थितियों में संगठन मंत्रियों का दायित्व अब बोना दिखाई देने लगा है । विगत तीन-चार वर्षों का इतिहास बताता है कि संगठन मंत्रियों का दायित्व अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ से पूर्णता विफल एवं संगठन को तोड़ने की स्थिति में ही सामने आया है। इस विषय में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित राष्ट्रीय स्तर पर चयन करने वाले पदाधिकारियों को सोचना होगा । फिलहाल ग्वालियर से जुड़े हुए मामले में इतना ही दिखाई देता है कि एक अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया जो गलत तरीके से सामने आई थी , उसके चलते ग्वालियर चंबल क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के अनुशासित संगठन को अब अनुशासनहीन संगठन के रूप में कहा जाए तो बड़ी बात नहीं होगी ।