भोपाल कार्यालय से विशेष रिपोर्ट ।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में सरकारें आती जाती रहती हैं, कभी भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही कभी कांग्रेस की । परंतु सत्ता पक्ष और विपक्ष के खेल में उलझे हुए प्रदेश के अफसर हमेशा उन नेताओं के निशाने पर रहते हैं जिनका स्वार्थ सिद्ध नहीं हो पाता। कमलनाथ सरकार के लिए सिरदर्द बना एंटी माफिया अभियान आज भी कांग्रेस के विधायकों के लिए क्षेत्र में जबरदस्त विरोध का कारण बना हुआ है , अब नेता तो नेता ही ठहरे । वह इस विरोध से भी बाहर आ जाएंगे अथवा जीत जाएंगे या हार जाएंगे । परंतु सर दर्द हो तो उन अधिकारियों का है जिनका भविष्य बर्बाद करने के लिए भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए लोग अब सीधे-सीधे आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं ।
तत्कालीन गुना कलेक्टर भास्कर लक्षकार पर लगे आरोप ।
कांग्रेस की सरकार में एंटी माफिया स्कीम के अंतर्गत जिस तरह से मध्य प्रदेश के हर जिले में काम किया गया उसमें निश्चित कहीं ना कहीं विसंगतियों की स्थिति भी सामने आई थी । एसडीएम से लेकर तहसीलदार स्तर तक जमकर कमाई का जरिया बनी इस योजना के कारण कमलनाथ स्वयं स्वीकारते हैं कि हमारी सरकार चली गई । जबकि जमीनी हकीकत यह है कि इस योजना ने केवल बदले की भावना से काम किया एवं संबंधित जिले के अधिकारियों को कमाने का भरपूर मौका दिया । वहीं दूसरी ओर जनता की जो दुर्दशा हुई वह किसी से छुपी नहीं है मध्य प्रदेश में पिछले 25 वर्षों के इतिहास में इतनी बुरी तबाही प्रदेश की गरीब जनता के साथ कभी नहीं हुई । गरीबों की बस्ती उजाड़ दी गई तो कहीं अतिक्रमण के नाम पर दुकानें तोड़ दी गई और रोटी रोटी के लिए मोहताज कर दिया गया । परंतु इसके ठीक विपरीत आज स्थितियां भारतीय जनता पार्टी की सरकार से जुड़ी हुई है । हाल ही में गुना कलेक्टर रही भास्कर लक्षकार के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी के एक स्थानीय नेता सलूजा ने उनके ऊपर जमीन माफिया का आरोप लगाते हुए महा भ्रष्टाचारी करार दिया । जानकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के नेता सलूजा के विरुद्ध स्वयं जमीन माफिया से जुड़ी हुई कई शिकायतें सामने आई थी एवं गुना में उनका रिकॉर्ड कभी भी अच्छा नहीं रहा इस विषय में कई मुकदमों से लेकर अन्य शिकायतें उनके विरुद्ध लंबित हैं । परंतु उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सरकार आते ही तत्कालीन कलेक्टर भास्कर लक्षकार पर आरोप लगाने का सिलसिला प्रारंभ कर दिया ताकि वर्तमान सरकार में दबाव की राजनीति एवं आईएएस अफसरों को दबाव में लेने की राजनीति की जा सके ।
क्या अफसरों का कोई सम्मान नहीं ? नेता बिन पेंदी के लोटा ,जो बोल दें - समाज स्वीकार करता है?
लोकतंत्र के स्तनों में कार्यपालिका एवं विधायिका का अपना-अपना महत्वपूर्ण स्थान है . परंतु भारतीय राजनीति में हमेशा दिखाई दिया है की आईएएस एवं आईपीएस अफसर अपने आप को कुछ प्रतिशत में जिस तरह नेताओं के समक्ष शरणागत रखते हैं , उसी का परिणाम है कि नेता जिनका कोई जाति धर्म नहीं होता वह प्रशासनिक सेवा के अफसरों को मात्र उपयोग करने वाली वस्तु से अधिक कुछ नहीं समझते । मध्य प्रदेश की राजनीति में भी ऐसे ही हालात कई बार सामने दिखाई दिए हैं , जिन अधिकारियों ने नेताओं की गुलामी की उन अधिकारियों ने ही ऐसा सिलसिला सामने खड़ा कर दिया कि प्रदेश में आज आईएएस आईपीएस अफसर सरकारों के अनुसार कठपुतली बन गए हैं । वहीं दूसरी और स्वाभिमानी अफसरों की हालत बेहद खराब है क्योंकि जब भ्रष्ट नेताओं की बात नहीं सुनते हैं अथवा उनके गलत काम नहीं करते हैं तो उनका विरोध उन्हें बदनाम करते हुए किया जाता है । हाल ही में जिस तरह मध्य प्रदेश सरकार ने 50 से अधिक अधिकारियों का स्थानांतरण किया था उसमें भी ऐसी ही स्थितियां सामने दिखाई दी। अधिकारी कभी भाजपा के हुए तो कभी कांग्रेस के अर्थात फुटबॉल के समान उनका स्थानांतरण सरकार कोई भी हो इसी तरह होता रहा है । गुना कलेक्टर भास्कर लक्षकार के विषय में जो आरोप गुना के भाजपा नेता नहीं लगाए हैं उनकी हालत हुई इसी परिपेक्ष में सामने हैं ।
स्वच्छ छवि एवं कठोर प्रशासक माने जाते हैं लक्षकार ।
राजधानी के प्रशासनिक महकमे में भास्कर लक्षकार जो मूलतः शिवपुरी जिले से ही आते हैं उनकी प्रशासनिक छवि चाहे भोपाल के कार्यकाल से जुड़ी रही हो अथवा जिलों में पदस्थ कलेक्टर के रूप में । उनका कार्यकाल हमेशा कठोर प्रशासक के रूप में एवं सबसे छवि के रूप में जाना जाता है । गुना में रहे वरिष्ठ पत्रकारों सहित राजनीतिक दलों ने लगाए गए आरोपों को सिरे से नकार दिया वहीं दूसरी ओर प्रदेश में पदस्थ कई उनके बैच के आईएएस अफसरों सहित राजधानी के पत्रकारों ने भी उन पर लगाए गए आरोपों को पूर्णता गलत बताया है। कुल मिलाकर सत्ता जाने के बाद राजनीतिक दलों द्वारा सार्वजनिक रूप से अधिकारियों के ऊपर लगाए जाने वाले आरोपों के विरुद्ध एक आचार संहिता की मांग अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए ।
निरर्थक एवं आधारहीन आरोपों का राजनीतिक जामा ।
गुना के भारतीय जनता पार्टी के नेता जो स्वयं अपने आप में जाति प्रमाण पत्र को लेकर 420, 467, 468 471 जैसी गंभीर धाराओं के आरोपी रहे हैं , उन्होंने तत्कालीन गुना कलेक्टर भास्कर लक्षकार पर संबंधित विषय में निम्न आरोप लगाए हैं ।भाजपा नेता राजेंद्र सलूजा का कहना है कि गुना जिले में स्थित वह सरकारी जमीन सहरिया आदिवासी के लिए आरक्षित थी और उसका विक्रय नहीं किया जा सकता था। श्री भास्कर लक्षकार ने गुना कलेक्टर के पद पर रहते हुए 150 करोड़ मूल्य की सरकारी जमीन के उपयोग करने की अनुमति कारोबारियों को दे दी। यह निर्धारित समय अवधि के लिए एक प्रकार का मालिकाना हक है। भाजपा नेता सलूजा ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखकर शिकायत की है। भाजपा नेता नरेंद्र सलूजा ने तत्कालीन कलेक्टर श्री भास्कर लक्षकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बमौरी और गुना विधानसभा के किसान व व्यापारियों के साथ भय का वातावरण निर्मित कर छापामारी कराई और दूध डेरी वालों को नोटिस देकर डरा-धमकाया गया। 100 अवैध कॉलोनाइजरों को नोटिस देकर सिर्फ 7 पर FIR करने के आदेश देकर भय का वातावरण बनाया।