करोड़ों की जान लेने वाली महामारी । 4 सदियों में हर 100 साल । संयोग या प्रकोप ।


भोपाल कार्यालय ।


आज विश्व पटल पर कोरोनावायरस नामक महामारी ने जिस तरह मानव जाति के विरुद्ध कोहराम मचाया है ,ऐसा नहीं है कि ऐसा प्रकोप पहली बार धरती पर सामने आया हो । यहां साफ कर देना होगा कि यही प्रकोप की शक्ल और इस भयावह शक्ल से भी बदसूरत हालात तीन बार और इस ब्रह्मांड पर सामने आ चुके हैं ,जहां करोड़ों लोगों की मौत हुई। परंतु अजब गजब संयोग इस बात से लगाया जाता है की चार सदियों से हर 100 साल में ,इस तरह की महामारीओं का प्रकोप हर 100 साल में मानव जाति के लिए विस्फोटक रूप में सामने आया, और हर बार करोड़ों लोग इस तरह की महामारीओं से मौत के ग्रास में समा गए । 1720 से लेकर 2020 तक 4 सदियों में फैला महामारी का ऐसा प्रकोप हर 100 साल में योग संयोग के रूप में प्रकोप लेकर सामने आया और आज वर्ष 2020 में एक बार फिर हालात उसी शक्ल सूरत में सामने दिखाई दे रहे हैं ।


1720 मै फ्लैग का प्रकोप ।


वर्ष 1720 में महामारी की शुरुआत के रूप में फ्रांस के मार्शल ए शहर में फ्लैग का प्रकोप प्रारंभ हुआ। इस प्रकोप का प्रारंभ वैसे तो 1719 के अंत में प्रारंभ हुआ था परंतु इसने अपनी भयावहता रूप 1720 में दिखाना प्रारंभ किया । 1720 में फ्रांस के मार्शल ए शहर की 20 फ़ीसदी आबादी अर्थात 1 लाख से अधिक लोग इस महामारी की चपेट में आ गए और मौत को प्राप्त हुए । उसके बाद यह बीमारी फ्रांस से होती हुई यूरोप ,अफ्रीका ,एशिया सहित कई देशों में पहुंची ।और विश्व पटल पर 7 करोड़ से अधिक लोग इस महामारी में मारे गए, भारत में इस महामारी से 10 लाख से अधिक लोग मारे गए ।


100 साल बाद - हैजा अर्थात द फर्स्ट कॉलरा । 


 इसी प्रकोप की स्थिति में ठीक 100 साल बाद हिंदुस्तान की भाषा में हैजा वहीं दूसरी ओर विदेशी भाषा में जहां से ,आरंभ हुआ द फर्स्ट कॉलरा के नाम से पहचाना गया । यह एक ऐसी बीमारी थी जिसने इंसानी जीवन को हिला कर रख दिया , इस बीमारी में शरीर का पानी सूखता चला जाता था और इंसान 24 घंटे से अधिक जीवित नहीं रह पाता था .. तड़पते हुए मौत की भयानक परिस्थितियां एवं मंजर आज तक इतिहास में गवाही देती हैं . करोड़ों लोग तड़पते हुए मरे । थाईलैंड ,इंडोनेशिया, फिलीपींस से प्रारंभ होकर यह महामारी भारत में पहुंची और भारत में इस महामारी से लाखों लोगों की मौत हुई । यह महामारी एशियाई देशों से जापान ,अरब ,चीन सहित कई देशों में पहुंची । 


100 साल बाद-- स्पेनिश फ्लू ।


एक बार फिर 100 साल बाद महामारी ने योग संयोग और ईश्वरीय प्रकोप के अनुसार विश्व पटल पर मानव जाति के लिए त्राहि-त्राहि  मचा दी । सदी का सबसे खतरनाक वायरस स्पेनिश टीम के रूप में दुनिया की एक तिहाई आबादी को प्रभावित करता हुआ यूरोप एशिया से लेकर भारत में जब पहुंचा तो भारत में भी 2 करोड़ से अधिक लोग मौत के आगोश में समा गए। स्पेनिश फ्लू कोरोनावायरस संक्रमण की तरह ही महामारी का रूप था । जिसने विश्व स्तर पर 10 करोड़ के लगभग मानव सभ्यता को मिटा कर रख दिया ।


और 100 साल बाद ।।।  कोरोना।।।


एक बार फिर योग संयोग और मानवीय प्रकोप पृथ्वी पर फिर से आया । करुणा भारत संक्रमण के नाम से और पिछले 3 महीने के अंतराल में विश्व पटल पर इसका प्रकोप आज भी जारी है । 1920 के बाद वर्ष 2020। अर्थात पर कॉल का चक्र घुमा और 100 वर्ष बाद अर्थात एक सदी बाद फिर से इस संक्रमण ने अपना विकराल रूप धारण कर लिया है आज विश्व स्तर पर लाखों की संख्या में लोग मर रहे हैं। वर्ष 1720 से प्रारंभ हुआ 2020 तक का यह कालचक्र हर सदी और 100 साल बाद सामने आकर मानव सभ्यता के लिए केवल खतरा ही नहीं बना वरन इस वायरस के प्रभाव में महाशक्ति एवं आर्थिक शक्ति कहे जाने वाले देशों में मानव जीवन को तहस-नहस करके रख दिया है । हर 100 वर्ष की महामारी अर्थात सदी की एक और महामारी का यह कालचक्र कब समाप्त होता है इसकी इसके विषय में तो नहीं कहा जा सकता परंतु कालचक्र के इस स्वरूप को देखते हुए आने वाले 100 वर्ष बाद एक बार फिर से महामारी की स्थिति सामने आएगी इसकी पुष्टि अवश्य होती है ।