प्रमोद दुबे । संपादक ।
भोपाल । मध्य प्रदेश के कोरोनावायरस संक्रमित राजनीति के इस परिदृश्य में एक तरफ जहां कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह की जंग जारी है वहीं दूसरी ओर आरोप-प्रत्यारोप के बीच इस सस्पेंस वाली पिक्चर में देर रात को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी एंट्री दिखा दी है , भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने कल इस पिक्चर में अपना किरदार भी शामिल कर दिया है । कुल मिलाकर नाथ एवं दिग्गी की लगातार हो रही फजीहत मैं कांग्रेसी चक्र क्या कम था ? अब आपस की धोखाधड़ी एवं साजिश पूर्ण राजनीति में भारतीय जनता पार्टी ने एंट्री करते हुए पिक्चर को और भी हास्यास्पद बना दिया है . पिक्चर के किरदारों में आपस की खींचतान आरोप-प्रत्यारोप का दौर, साफ सफाई का कार्यक्रम, अभी समाप्त भी नहीं हो पाया था कि प्रदेश भर में दिग्विजय सिंह एवं कमलनाथ की स्थितियों को वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने मिर्च मसाला लगाते हुए और भी मजेदार बना दिया ।
दिग्गी को बर्दाश्त करने की मजबूरी क्या थी ।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने दिग्विजय सिंह एवं कमलनाथ की आपसी खींचतान के बीच स्पष्ट रूप से कमलनाथ से अपनी ओर से पूछा है कि आखिर क्या मजबूरी थी जो दिग्विजय सिंह को सरकार बनने के पहले ही दिन से आप बर्दाश्त कर रहे थे । पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा दिग्विजय सिंह की नाजायज और समानांतर सरकार को लगातार 1 वर्षों से अधिक समय तक आप झेलते रहे कार्यकर्ताओं का विरोध सहन करते रहे, महा भ्रष्टाचारी ओ की छवि आपने बना ली । आखिर कारण क्या था अपने आप को डुबोने का, दिग्विजय सिंह जैसे बंटाधार पुरुष के लिए । उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि वे सरकार बनने के पहले दिन से दिग्विजय सिंह को बर्दाश्त करते रहे और अंततः सरकार गिराने का खामियाजा भुगता। दिग्विजय के दबाव में लगातार अपने ही विधायकों और मंत्रियों का अपमान क्यों किया गया? दिग्विजय के बेटे को कैबिनेट मंत्री बनाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों की राजनीति का गला घोंट दिया। कमलनाथ इसे जनता के सामने स्पष्ट करें।
सिंधिया के पूरे राजनीतिक कॅरियर में एक भी दाग नहीं
अगर समय रहते उन बातों का खुलासा हो जाता तो शायद तमाम विधायकों को अपनी विधायकी का बलिदान नहीं देना पड़ता। ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी अपमान किया। उन्हें सड़क पर उतरने की नसीहत दे डाली। आज परिणाम सबके सामने है। सिंधिया की ईमानदारी और पारदर्शिता में भरोसा करने वाले उनके समर्थक विधायकों ने विधायकी को दांव पर लगाया, यह मामूली बात नहीं है। कोई विधायक या मंत्री तभी अपना पद त्यागता है, जब उसे हृदय की गहराइयों तक चोट पहुंचाई जाती है। उन पर लांछन लगाने वाले कांग्रेसियों को दिग्विजय को धिक्कारने की हिम्मत जुटानी चाहिए। कमलनाथ ने उनका ही अपमान किया जो सच सामने लेकर आए। सिंधिया के पूरे राजनीतिक कॅरियर में एक भी दाग नहीं है, फिर भी कमलनाथ ने सीएम व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनका निरंतर अपमान किया। इसे कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति सहन नहीं कर सकता।