राज्य सरकारें शराब की होम डिलीवरी कर सकती हैं । सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सलाह दी ।

  



नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्तर पर लोक डाउन के दौरान आर्थिक स्थितियों को सामान्य गति प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार एवं कई प्रदेशों की राज्य सरकारों ने राजस्व वसूली के मुख्य केंद्र अर्थात शराब बिक्री को हरी झंडी दे दी है एवं मध्य प्रदेश सहित लगभग सभी राज्यों में शराब की दुकानें प्रारंभ हो गई है। इस मामले को लेकर जब शराब की दुकानों पर भीड़ एवं जनता की अधिक संख्या दिखाई गई तो राज्य सरकार की चिंता में पड़ गई परंतु स्थानीय स्तर पर पुलिस की व्यवस्था शराब की दुकानों पर की गई है ताकि लॉक डाउन का पालन हो सके और शराब बिक्री में किसी तरह का विलंब ना आए।


सोशल डिस्टेंसिंग के पालन में होम डिलीवरी पर विचार कर सकती है सरकार । सुप्रीम कोर्ट।


परंतु आज यह मामला सामाजिक स्तर पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया सुप्रीम कोर्ट में इस विचार के साथ पहुंचा की शराब की दुकानों में सामाजिक दूरी का पालन नहीं हो रहा है दुकानें कम है और इस समय खरीदार ज्यादा है लोगों की जिंदगी को खतरे में डालना कहां तक उचित है । याचिकाकर्ता को इस विषय में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक तरफ जहां फटकार लगी वहीं दूसरी ओर इस विषय में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण जस्टिस संजय किशन कौल एवं बीआर गवाही ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मामले को गंभीरता से भी सुना । सुप्रीम कोर्ट ने कहा की इस मामले में गृह मंत्रालय को शराब की बिक्री पर स्पष्टीकरण राज्यों को देना चाहिए । सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के विषय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा की सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए राज्य सरकारें शराब की अप्रत्यक्ष अभिक्रिया होम डिलीवरी पर विचार कर सकती है ।


1 लाख करोड़ से अधिक का हो चुका है नुकसान।


राष्ट्रीय स्तर पर देश के लगभग सभी प्रदेशों में जहां-जहां शराब बिक्री चालू है वहां वहां जबसे कोरोनावायरस संक्रमण के चलते लॉक डाउन की परिस्थितियां सामने आई है तब से राष्ट्रीय स्तर पर देवेंद्र राज्यों के आंकड़े के अनुसार लगभग 100000 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान हो चुका है जो कि शराब विक्रय से प्रत्येक राज्य को प्राप्त होता है। मात्र मध्यप्रदेश में ही दो हजार करोड़ के लगभग राजस्व का नुकसान प्रदेश को हुआ है ।