आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक फार्मा कंपनी में गैस लीकेज का मामला सामने आया है. यह घटना गुरुवार सुबह हुई. स्थानीय प्रशासन और नेवी ने फैक्ट्री के पास के गांवों को खाली करा लिया है. इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 300 से अधिक लोगों की हालत गंभीर है.बताया जा रहा है कि आरआर वेंकटपुरम में स्थित विशाखा एलजी पॉलिमर कंपनी से सुबह 2.30 बजे खतरनाक जहरीली गैस का रिसाव हुआ है. इस जहरीली गैस के कारण फैक्ट्री के तीन किलोमीटर के इलाके प्रभावित हैं. फिलहाल, पांच गांव खाली करा लिए गए. सीएम जगन मोहन रेड्डी खुद विशाखापट्टनम पहुंच गए हैं.
ताजा हुईं भोपाल गैस कांड की यादें
भोपाल में 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात में यूनियन कार्बाइड कारखाने की गैस के रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गई थी। उस रात यूनियन कार्बाइड के प्लांट नंबर 'सी' में हुए रिसाव से बने गैस के बादल को हवा के झोंके अपने साथ बहाकर ले जा रहे थे और लोग मौत की नींद सोते जा रहे थे। लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर एकाएक क्या हो रहा है? कुछ लोगों का कहना है कि गैस के कारण लोगों की आंखों और सांस लेने में परेशानी हो रही थी। जिन लोगों के फेफड़ों में बहुत गैस पहुंच गई थी, वे सुबह देखने के लिए जीवित नहीं रहे। उस रात यूनियन कार्बाइड से करीब 40 टन गैस का रिसाव हुआ था और इसका कारण यह था कि फैक्ट्री के टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस से पानी मिल गया था। इस घटना के बाद रासायनिक प्रक्रिया हुई और इसके परिणामस्वरूप टैंक में दबाव बना। अंतत: टैंक खुल गया और गैस वायुमंडल में फैल गई। इस गैस के सबसे आसान शिकार भी कारखाने के पास बनी झुग्गी बस्ती के लोग ही थे। उन्होंने नींद में ही अपनी आखिरी सांस ली। गैस को लोगों को मारने के लिए मात्र तीन मिनट ही काफी थे
मृतकों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा
सीएम जगन मोहन रेड्डी ने किंग जॉर्ज हॉस्पिटल में एडमिट पीड़ितों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने मुआवजे का ऐलान किया. हादसे के कारण जान गंवाने पर लोगों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. इसके साथ ही पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये और डिस्चार्ज किए जा चुके लोगों को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि मिलेगी. साथ ही पूरे मामले की 5 सदस्यीय कमेटी जांच करेगी.
स्टाइरीन गैस क्या है?
स्टाइरीन मूल रूप में पॉलिस्टाइरीन प्लास्टिक और रेज़िन बनाने में इस्तेमाल होती है. यह रंगहीन या हल्का पीला ज्वलनशील लिक्विड (द्रव) होता है. इसकी गंध मीठी होती है. इसे स्टाइरोल और विनाइल बेंजीन भी कहा जाता है. बेंजीन और एथिलीन के ज़रिए इसका औद्योगिक मात्रा में यानी बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है. स्टाइरीन का इस्तेमाल प्लास्टिक और रबड़ बनाने में होता है. इन प्लास्टिक या रबड़ का इस्तेमाल खाने-पीने की चीज़ें रखने वाले कंटेनरों, पैकेजिंग, सिंथेटिक मार्बल, फ्लोरिंग, डिस्पोज़ेबल टेबलवेयर और मोल्डेड फ़र्नीचर बनाने में होता है.
स्टाइरीन के संपर्क में आने पर इंसानों पर क्या असर पड़ता है?
स्टाइरीन की भाप अगर हवा में मिल जाए तो यह नाक और गले में जलन पैदा करती है. इससे खांसी और गले में तकलीफ़ होती है और साथ ही फेफड़ों में पानी भरने लगता है. अगर स्टाइरीन ज़्यादा मात्रा में सांस के ज़रिए शरीर में पहुंचती है तो यह स्टाइरीन बीमारी पैदा कर सकती है. इसमें सिरदर्द, जी मिचलाना, थकान, सिर चकराना, कनफ़्यूजन और पेट की गड़बड़ी होने जैसी दिक्क़तें होने लगती हैं. इन्हें सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन कहा जाता है. कुछ मामलों में स्टाइरीन के संपर्क में आने से दिल की धड़कन असामान्य होने और कोमा जैसी स्थितियां तक बन सकती हैं.स्टाइरीन त्वचा के ज़रिए भी शरीर में दाखिल हो सकती है. अगर त्वचा के ज़रिए शरीर में इसकी बड़ी मात्रा पहुंच जाए तो सांस लेने के ज़रिए पैदा होने वाले सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. अगर स्टाइरीन पेट में पहुंच जाए तो भी इसी तरह के असर दिखाई देते हैं.स्टाइरीन की फ़ुहार के संपर्क में आने से त्वचा में हल्की जलन और आंखों में मामूली से लेकर गंभीर जलन तक हो सकती है.
महामारी विज्ञान में कई अध्ययनों से यह पता चला है कि स्टाइरीन के संपर्क में आने से ल्यूकेमिया और लिंफ़ोमा का भी जोखिम बढ़ सकता है. हालांकि, इस चीज़ को अभी पुख्ता तौर पर साबित नहीं किया जा सका है.