शराब ठेकेदार और सरकार का विवाद पहुंचा हाईकोर्ट । दर्जनों ठेकेदारों की याचिका । सरकार को नोटिस जारी ।


भोपाल कार्यालय । मध्य प्रदेश में 40 दिनों के बाद आज से ही शराब के ठेके ग्रीन एवं ऑरेंज इलाकों में चालू ही हो पाए थे कि नाराज शराब ठेकेदार सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए । हाई कोर्ट पहुंचने वाले शराब ठेकेदारों की संख्या याचिका अंतर्गत 30 से अधिक बताई जाती है । याचिका में शराब ठेकेदारों ने मांग की है कि उन्हें करोड़ों रुपए का घाटा होने जा रहा है क्योंकि शराब ठेके की जो शर्ते हैं उनकी पूर्ति वर्तमान स्थिति में करना असंभव है । इसलिए ठेके की राशि को कम किया जाए ।


ठेकों की पूर्व निर्धारित रकम क्यों नहीं घटाई जा रही है।


मुख्य न्यायाधीश एके मित्तल और न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की जॉइंट बेंच ने मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब शराब दुकानों के खुलने का निर्धारित समय कम कर दिया गया है तो इनके ठेकों की पूर्व निर्धारित रकम क्यों नहीं घटाई जा रही है।दरअसल, एक मई को आबकारी विभाग ने दुकानें खोलने का सर्कुलर कलेक्टरों को भेजा था, लेकिन इस आदेश पर शराब ठेकेदारों ने आपत्ति जता दी है। सोमवार को मुख्य सचिव आईसीपी केशरी के साथ ठेकेदारों की बैठक हुई। ठेकेदारों ने कहा- शराब दुकानें बंद रखी जाएं। बैठक चल रही थी, इसी दौरान आबकारी विभाग ने दुकानें खेलने का आदेश जारी कर दिया। ठेकेदारों को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने जनहित में दुकानें बंद करने का ऐलान कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रशासन दबाव बनाता है तो हम कोर्ट जाएंगे। ठेकेदारों को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 10,650 करोड़ रु. रेवेन्यू के साथ शराब दुकानें आवंटित हुई हैं। यह एक्साइज ड्यूटी एक अप्रैल से प्रभावी है। अभी दुकानें बंद हैं, इससे सरकार को 1000 करोड़ का नुकसान हुआ है। ठेकेदार नई शर्तों के साथ ड्यूटी नहीं देना चाहते।


अंतरिम राहत पर विचार किया जाएगा।


ठेकेदारों ने प्रदेश में शराब ठेके की राशि कम किए जाने की मांग लेकर लेकर याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से वे अपनी दुकानों का संचालन नहीं कर पाए। ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए उनकी ठेके राशि कम की जाए। जॉइंट बेंच ने आदेश में कहा कि प्रदेश सरकार का जवाब आने के बाद अगली सुनवाई में अंतरिम राहत पर विचार किया जाएगा।ठेकेदारों का कहना है कि जितने दिन दुकान बंद रही हैं और दुकान संचालन के घंटों में कटौती का आकलन कर ठेका राशि उतनी कम की जाए। ऐसा नहीं करने पर उनकी जमा राशि वापस की जाए और नए सिरे से ठेके के लिए टेंडर आमंत्रित किए जाएं। इस याचिका की सुनवाई शराब ठेका को चुनौती देने वाली पहले दायर याचिकाओं की साथ की गई। बेंच ने याचिका की सुनवाई करते हुए टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगा दी।