बीहड़ में बाग़ी होते हैं. डकैत होते हैं पाल्लयामेंट में।” पान सिंह तोमर ।

 


गौरव सिकरवार मुरैना ।



आज इरफान खान हमारे बीच में नहीं रहे , परंतु मुरैना जिले से जुड़े हुए उनके कुछ संस्मरण मुरैना वासियों के जहन में आज भी जिंदा है । एक ऐसा ही संस्मरण प्रस्तुत है गौरव सिंह सिकरवार की कलम से ।


कहां से हो?”
“गांव भिड़ोसे, जिला #मुरैना साब।”
“ओह्ह! #चंबल। डाकू एरिया।”
“डाकू ना साब, बाघी! हमारे मामा मार्क 3 वाले, बे भी बाघी हैं साब, आज तक पुलिस न पकड़ पाई उनको।”
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आर्मी अफसर: "सिपाही पान सिंह तुमने बताया तुम्हारे मामा डाकू हैं?”
“ना डाकू ना साब, बाघी, बड़े भले आदमी हैं साब।”
“देखो, जितना पूछा जाए उतना जवाब दो, रिकॉर्ड्स में तो नहीं है, क्या तुम कभी किसी जुर्म में जेल गए हो?”
“हम का हमाये मामा तक नहीं गए साब, पुलिस पकड़ न पाई।”
“क्या कहा था मैंने? जितना पूछा जाए उतना जवाब दो। सरकार में विश्वास रखते हो?”
“ना साब #सरकार_तो_चोर है, जेई बात से तो हम सरकारी नौकरी ना कर फ़ौज में आये। जा देश में #आर्मी_छोड़_सब_का_सब_चोर।”
“देश के लिए जान दे सकते हो?”
“हां साब ले भी सकते हैं। देश-जमीन तो हमाई मां होती है, मां पर कोई उंगली उठाये तो का चुप बैठेंगे?’
“फ़ौज का मतलब होता है अनुशासन. तुम्हारा कोई बड़ा अफ़सर तुम्हें कोई भी आदेश दे उसे पूरा करना होता है, तुम्हें जो भी आदेश मिले उसे पूरा करोगे?”
“साब, हम तो चौथी फेल हैं। अभी हम तो #किताब_कम_आदमी_ज़्यादा_पढ़े _हैं। अब आप जैसा अफ़सर आदेश देगा, जान लगा देंगे। पर साब, जे बटालियन में कछु ऑफिसर सिर्फ नाम के ही हैं. किसी काम के नहीं हैं। बेकार, अब ये आदेश देंगे तो कछु सोचनो पड़ेगो साब।”
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पत्रकार: “आप डकैत कैसे बने?”
पान सिंह: “अरे तू पूरो पत्रकार बन गओ है कि ट्रेनिंग पे है??
जई इलाके का होकें भी पतो नहीं है का? बीहड़ में बाग़ी होते हैं. डकैत होते हैं पाल्लयामेंट में।”


~चंबल के पान सिंह तोमर-2 #इरफ़ान_खान का इंतकाल 😥